कनरसिया के कानों के भी कान-खजूरे---
मनभावन सुर-तालों को अब बेढब घूरे ||
व्यस्त जमाने के पहलू में ऊँघे बच्चा
कैसे पूरे हों बप्पा के ख़्वाब अधूरे ||
कनकैया-कनकौवा का कर काँचा माँझा
आकाश-पुष्प की खातिर भागे भटके-झूरे ||
युवा मनाकर आठ पर्व को नौ-नौ बारी
भूली - बिसरी परम्पराएँ पूरी तूरे ||
नैतिकता के अधो-पतन ने घर बिसराया
नैतिकता के अधो-पतन ने घर बिसराया
भोग-विलासी जीवन के हित पागल पूरे ||
जय हो फ़्रेंडशिप डे रोस डे और पता नही कौन कौन से डे की
ReplyDeleteनैतिकता के अधो-पतन ने घर बिसराया
ReplyDeleteभोग-विलासी जीवन के हित पागल पूरे ||
bahut saarthak bhaav liye hui kavita.achchi lagi.
अच्छी रचना है!
ReplyDelete--
मित्रता दिवस पर बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
सार्थक भावों की सुन्दर प्रस्तुति....
ReplyDeleteव्यस्त जमाने के पहलू में ऊँघे बच्चा
ReplyDeleteकैसे पूरे हों बप्पा के ख़्वाब अधूरे ||
बहुत सटीक अभिव्यक्ति .मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें .
bilkul alag aur nayaapan liye hai ye andaaz....sundar likha aapne
ReplyDeletehumara bhi hausla badhaaye:
http://teri-galatfahmi.blogspot.com/
friendship day ?????
ReplyDeleteअच्छी रचना है!
ReplyDelete--
मित्रता दिवस पर बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
वाह!
ReplyDeleteव्यस्त जमाने के पहलू में ऊँघे बच्चा
ReplyDeleteकैसे पूरे हों बप्पा के ख़्वाब अधूरे ||
क्या बात कही है जी बहुत वाजिब
सुन्दर अंदाज रविकर जी -अलग शैली ,सार्थक , व्यंग्य ,निम्न मन को बहुत भाया..काश लोग न ऊंघें ..
ReplyDeleteभ्रमर ५
नैतिकता के अधो-पतन ने घर बिसराया
भोग-विलासी जीवन के हित पागल पूरे
व्यस्त जमाने के पहलू में ऊँघे बच्चा
ReplyDeleteकैसे पूरे हों बप्पा के ख़्वाब अधूरे ...
दिनेश जी हकीकत लिख दी है आपने यहाँ ...
सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteनैतिकता के अधो-पतन ने घर बिसराया
ReplyDeleteभोग-विलासी जीवन के हित पागल पूरे
सही कहा दिनेश जी ।