तपे आग में जब जब कोई ,स्वर्ण निखर कर होवे सोई,गावं गए गरिमा बढ़ी .मन अति हर्षित ही होई ,लम्बे अंतराल के उपरांत स्वागत है
बहुत सुंदर रचना,,,बहुत दिनों बाद यहाँ आपको देख अच्छा लगा पिछली दो पोस्टो पर आपकी एक नजर चाहता हूँ,recent post : ऐसी गजल गाता नही,
बहुत बढियाबहुत बढिया
अच्छी रचना.
स्वागत है आदरणीय गुरुदेव श्री आते ही सुन्दर कुण्डलिया छंद रच दिया, हार्दिक बधाई स्वीकारें.
आपका सादर स्वागत है !!
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार ४ /६/१३ को चर्चामंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आप का वहां हार्दिक स्वागत है ।
आपकी यह रचना कल मंगलवार (04 -06-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
तपे आग में जब जब कोई ,स्वर्ण निखर कर होवे सोई,गावं
ReplyDeleteगए गरिमा बढ़ी .मन अति हर्षित ही होई ,लम्बे अंतराल के उपरांत स्वागत है
बहुत सुंदर रचना,,,बहुत दिनों बाद यहाँ आपको देख अच्छा लगा पिछली दो पोस्टो पर आपकी एक नजर चाहता हूँ,
ReplyDeleterecent post : ऐसी गजल गाता नही,
बहुत बढिया
ReplyDeleteबहुत बढिया
अच्छी रचना.
ReplyDeleteस्वागत है आदरणीय गुरुदेव श्री आते ही सुन्दर कुण्डलिया छंद रच दिया, हार्दिक बधाई स्वीकारें.
ReplyDeleteआपका सादर स्वागत है !!
ReplyDeleteआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार ४ /६/१३ को चर्चामंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आप का वहां हार्दिक स्वागत है ।
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