"मेघ को कैसे बुलाऊँ?" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण)
बिटिया के घर का पानी, तब नहीं पिया करते थे |
पिया संग गौरी विचरे, आशीष दिया करते थे || चरोधाम बहाना है, अब होटल में पिकनिक करते - मेघ बहाना जान गए, उत्पात किया करते हैं || |
व्यथा … !
बाड़े में घुरघुर करे, भरे धरे अवसाद |
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खेप गए नेता सकल, बेशर्मी भी झेंप ।
बेशर्मी भी झेंप, उचक्कों की बन आई ।
ज़िंदा लेते लूट, लाश ने जान बचाई ।
भूखे-प्यासे भटक, उठा दुनिया से दाना ।
लाशें रहीं लटक, हिमालय मुर्दाखाना ॥
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नंदी को देता बचा, शिव-तांडव विकराल ।
भक्ति-भृत्य खाए गए, महाकाल के गाल ।
महाकाल के गाल, महाजन गाल बजाते ।
राजनीति का खेल, आपदा रहे भुनाते ।
आहत राहत बीच, चाल चल जाते गन्दी ।
हे शिव कैसा नृत्य, बचे क्यूँ नेता नंदी ॥
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तप्त-तलैया तल तरल, तक सुर ताल मलाल ।
ताल-मेल बिन तमतमा, ताल ठोकता ताल ।
ताल ठोकता ताल, तनिक पड़-ताल कराया ।
अश्रु तली तक सूख, जेठ को दोषी पाया ।
कर घन-घोर गुहार, पार करवाती नैया ।
तनमन जाय अघाय, काम रत तप्त-तलैया ।
तक=देखकर
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खाकी निक्कर डाल के, देखभाल में लीन|
कौन कहाँ के लोग ये, कैसा अद्भुत सीन |
कौन कहाँ के लोग ये, कैसा अद्भुत सीन |
कैसा अद्भुत सीन, इन्हें अनुमति दी किसने |
क्या है इनका दीन, अश्रु ना देते रिसने |
चैनल वाले धूर्त, कसम है उनको माँ की |
दिखलाओ यह दृश्य, जहाँ निक्कर है खाकी ||
(१)
कपड़ा लत्ता लूट लें, लेते लूट लंगोट |
देख भागते भूत को, देकर जाता वोट ||
(२)
नंदी पर करते कृपा, मरें भक्त गन भृत्य |
तांडव गौरी कुंड पर, हे शिव कैसा कृत्य ||
(३)
अमी अमीकर आचमन, किन्तु अमीत अमीर |
चंद्रयान से चीरकर, दे संकुल को पीर |
बहुत सुन्दर रविकर जी।
ReplyDeleteआपके बिना जालजगत सूना-सूना लगता था!
बढ़िया लिंक्स .... ओर आपका बहुत बहुत आभार रवि साहब ... हाँ ये बात भी है की सच मे आपके बिना सुना सुना लगता था ..मै आदरणीय शास्त्री जी से सहेमत हु
ReplyDeletebadhiya links
ReplyDeleteबहुत खूब शाष्त्री जी बढ़िया रूपक प्रस्तुत किया है -
ReplyDeleteचरोधाम बहाना है, अब होटल में पिकनिक करते -
मेघ बहाना जान गए, उत्पात किया करते हैं ||
बहुत खूब चैनलिया आज खुद एक पक्ष हैं .सच कैसे दिखलाएं ,मोदी को गाली देनी हो तो दिलवाएं -
ReplyDeleteकैसा अद्भुत सीन, इन्हें अनुमति दी किसने |
क्या है इनका दीन, अश्रु ना देते रिसने |
चैनल वाले धूर्त, कसम है उनको माँ की |
दिखलाओ यह दृश्य, जहाँ निक्कर है खाकी ||
बढ़िया लिंक्स ..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
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