पी.सी.गोदियाल "परचेत"
फेंकू का धत फोबिया, व्याधि व्यथा विकराल |
राल घोंटते गान्धिभक्त, है चुनाव का साल | है चुनाव का साल, विदेशी दौरे छोड़े | चले अढाई कोस, नहीं नौ दिन हैं थोड़े | बेतरतीब विकास, गधह'रा हुल'के रेंकू | किसका वह व्यक्तव्य, मीडिया असली फेंकू || श्लेष अलंकार पहचाने गधह'रा हुल'के = बच्चे रेंकने के लिए हुलकते हैं |
नमन नमस्ते नायकों, नम नयनों नितराम-
(1)
नमन नमस्ते नायकों, नम नयनों नितराम |
क्रूर कुदरती हादसे, दे राहत निष्काम |
दे राहत निष्काम, बचाते आहत जनता |
दिए बगैर बयान, हमारा रक्षक बनता |
अमन चमन हित जान, निछावर हँसते हँसते |
भूले ना एहसान, शहीदों नमन नमस्ते -
(2)
उत्तरीय उतरे उमड़, उलथ उत्तराखंड |
कुदरत का कुत्सित कहर, देह भुगत ले दंड | देह भुगत ले दंड, हुवे रिश्ते बेमानी | पानी का बुलबुला, हुआ है पानी पानी | क्या गंगा आचमन, चमन सम्पूर्ण प्रस्तरी | चालू राहतकार्य, उत्तराभास उत्तरी || उत्तराभास=अंड-बंड उत्तर / दुष्ट उत्तर |
ज़िंदा लेते लूट, लाश ने जान बचाई -
खानापूरी हो चुकी, गई रसद की खेप ।
खेप गए नेता सकल, बेशर्मी भी झेंप ।
बेशर्मी भी झेंप, उचक्कों की बन आई ।
ज़िंदा लेते लूट, लाश ने जान बचाई ।
भूखे-प्यासे भटक, उठा दुनिया से दाना ।
लाशें रहीं लटक, हिमालय मुर्दाखाना ॥
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सटीक कुंडलियाँ !!
ReplyDeleteश्लेष अलंकार पहचाने
ReplyDeleteगधह'रा हुल'के = बच्चे रेंकने के लिए हुलकते हैं
Ha-ha-ha-ha-ha-ha-ha-ha.....
वाह-वाह..बहुत बढ़िया।
ReplyDelete--
टिप्पणियों में बहुत उत्तम भाव भरे हैं आपने रविकर जी।
आभार आपका।
बहुत बढ़िया,सटीक प्रस्तुति,,,
ReplyDeleteपाँच दिन से लाईट बंद रहने के कारण पोस्ट पर नही पहुँच सका,,,
Recent post: एक हमसफर चाहिए.
.बहुत बढ़िया
ReplyDeleteबहुत बढ़िया, प्रस्तुति,,
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