Saturday 26 October 2013

छद्म रूप में धर्म, आज निरपेक्ष विराजा -


नइखे नूंssss

देवेन्द्र पाण्डेय 
 नइखे नूँ की पेशकश, भर देती आनंद |
लिट्टी चोखा सा सरस, कविता का हर बंद |

कविता का हर बंद, छंद छल-छंद मुक्त है |
हास्य-व्यंग मनु द्वंद, हकीकत दर्द युक्त है |

साधुवाद हे मित्र, हाल पढ़ रविकर चीखे |
पानी रहे खरीद, यहाँ पर पानी नइखे ||, 

आभारी पटना शहर, हे गांधी मैदान |
बम विस्फोटों से गई, महज पाँच ठो जान |

महज पाँच ठो जान, अगर भगदड़ मच जाती |
होता लहूलुहान , पीर ना हृदय समाती |

होवे अनुसंधान, पकड़िये अत्याचारी |
बना रहे यह तंत्र, लोक हरदम आभारी || 



नहीं आ रहा बाज, बजाये मारू बाजा-


बाजारू संवेदना, दिया दनादन दाग |
जिसको भी देखो यहाँ, उगल रहा है आग |

उगल रहा है आग, जाग अब जनता जाती |
लेकर मत में भाग, जोर से उन्हें भगाती |

छद्म रूप में धर्म, आज निरपेक्ष विराजा|
नहीं आ रहा बाज, बजाये मारू बाजा || 

कौशल्या-दशरथ ; भगवती शांता ;मर्यादा पुरुषोत्तम राम की सगी बहन


भाग-3 
कुण्डलियाँ 

 दुख की घड़ियाँ सब गिनें, घड़ी-घड़ी सरकाय ।
धीरज हिम्मत बुद्धि बल, भागे तनु विसराय ।
भागे तनु विसराय, अश्रु दिन-रात डुबोते ।
रविकर मन बहलाय, स्वयं को यूँ ना खोते ।
समय-चक्र गतिमान, मिलाये सुख की कड़ियाँ ।
मान ईश का खेल, बिता ले दुख की घड़ियाँ ।। 

हाँ से खेलें देह दो, वर्षों कामुक खेल-

हाँ से खेलें देह दो, वर्षों कामुक खेल |
दर्ज शिकायत इक करे, हो दूजे को जेल |

हो दूजे को जेल, नौकरी शादी झाँसा |
यह सिद्धांत अपेल, बना अब अच्छा-खाँसा |

हुई मौज वह झूठ, कौन अब किसको फाँसे 
रिश्ते की शुरुवात, हुई थी लेकिन हाँ से |

नया बने सम्बन्ध, पकाओ धीमा धीमा

सीमांकन दूजा करे, मर्यादा सिखलाय |
पहला परवश होय तब, हृदय देह अकुलाय |

हृदय देह अकुलाय, लगें रिश्ते बेमानी |
रविकर पानीदार, उतर जाता पर पानी |

नया बने सम्बन्ध, पकाओ धीमा धीमा |
करिए स्वत: प्रबन्ध, अन्य क्यूँ पारे सीमा  ??

7 comments:

  1. मस्त लिक्खाड़ चर्चा ...

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  2. कुण्डलियों में सुन्दर प्रस्तुति।
    साझा करने के लिए धन्यवाद।

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  3. बहुत सुंदर सूत्र संयोजन !

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  4. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज सोमवार (28-10-2013)
    संतान के लिए गुज़ारिश : चर्चामंच 1412 में "मयंक का कोना"
    पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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