Saturday 27 August 2011

अ-प्रस्ताव के बाद ---

दोहे न सोहे उन्हें, गढ़ें कुण्डली - गान |
लाले पड़ते जान के, सोये चादर तान |1|
तेरहवीं की सरकारी कोशिश 

मकड़-जाल में फिर फँसा, तेरह दिन का तप |
कडुआ - कडुआ थू  करे, मीठा - मीठा  गप |3|
टालू-रवैया

फूंक-फूंक के रख रहे, अपने पग मक्कार |
कहे नहीं दो टूक वे, थी जिसकी दरकार |2|
जलेबी  
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ओमपुरी  से  हो  खफा, मांसाहारी दोस्त |
कल से खाना छोड़ते, वे मुर्दों का ग़ोश्त |4|
ताज़ा ग़ोश्त

पैरों पर अपने करे, कौन कुल्हाड़ी वार |
टोपी से अन्ना कहें, पैरों को दे मार |5|
नादान अन्ना


an axe splitting wood
स्वामी फिर पकड़ा गया, 
धरे शिखंडी-वेश,
सिब्बल  के  षड्यंत्र से, 

धोखा खाता देश,

धोखा खाता देश,

वस्त्र भगवा का दुश्मन,
टीमन्ना  से द्वेष,

कराता उनमे अनबन,

 
अग्नि का उद्देश्य, पकाता अपनी खिचड़ी,

 है धरती पर बोझ, बुनाये जाला-मकड़ी ||

8 comments:

  1. बहुत बढ़िया।
    जन आन्दोतन की विजय पर बहुत-बहुत शुभकामनाएँ।

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  2. अन्ना की तेरहवीं मत कहिये ... जनता की जीत है यह ..

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  3. पैरों पर अपने करे, कहाँ कुल्हाड़ी वार |
    टोपी से अन्ना कहें, पैरों को दे मार |5|
    नादान अन्ना

    बिलकुल सही कहा है आपने.
    पहेली संख्या -४२

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  4. लोकतंत्र की इस जीत की शुभकामनाये....

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  5. बहुत बढ़िया।

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  6. फूंक-फूंक के रख रहे, अपने पग मक्कार |
    कहे नहीं दो टूक वे, थी जिसकी दरकार |2|रविकर जी ,दिनकर जी ,"कपिल मुनि के तोते "लिखने जा रहे थे ,सोचा लिखने से पहले आपसे सांझा कर लिया जाए ,कल दोहे का रूप लेलेगा .तो सुन मेरे भाई ये स्वामी अग्नी बीज यकायक कैसे मंच से रंग मंच में पहुँच गए .ये कोंग्रेसी कपिल मुनि उर्फ़ सिब्बल से संपर्क साधे हुए थे अन्ना जी की टोली ने इनके संवाद मुनिकपिल जी के साथ सुन लिए ,ज़नाब फरमा रहे थे ,बहुत जल्दी गिव अप कर दिया आपने .
    टोली अन्ना कल से इनसे पूछ रही है -भैया भगवा ,कपट पंडित,कपट वेश ये "कपिल मुनि "कौन हैं ,भूमि गत हो गये हैं ये कुतर्क -पंडित .,,,

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  7. आज संसद के विशेषाधिकार हनन की तलवार -ए - तोहमत माननीय किरण बेदी पर लटकाने वाले,ॐ पुरी पे गुस्साए हमारे सांसद, उस वक्त कहाँ थे जब कोंग्रेस के एक प्राधिकृत प्रवक्ता ने भारत की संसद को आतंक के साए में रखने वाले विश्व के सबसे खूंखार दहशद गर्द (आतंकवादी ) "ओसामा बिन लादेन "को ओसामा बिन जी कहकर उनके इस्लामिक रीति -रिवाज़ से सुपुर्दे ख़ाक करने की हिदायत ओबामा साहब को दी थी .कहा था सुपुर्दे ख़ाक सबको आदर पूर्वक किया जाना चाहिए ।
    ये ज़नाब उनका मकबरा बनवाकर उस स्थान को क्या मदीना बनवाना चाहते थे ?

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  8. शुभकामनाये....

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