One killed in boat tragedy
बालू भित्ती से लड़ी, दानापुर में नाव |
बँटते लाखों लाश पर, बुड्ढा देता दांव ||
बुड्ढा देता दांव, करूँ एडमिट कलकत्ता |
अस्पताल में आग, मिला फिर भी ना पत्ता ||
People who drank toxic alcohol take saline in a hospital
रविकर कर ना माफ़, पिला दी देसी दारू |
तब पाया दो लाख, हुआ था जीवन भारु ||
behtarin prastuti
ReplyDeleteभावप्रणव अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteकमाल का लिखते हैं आप। अभिभूत हूं।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteआपकी अनमोल राय की अपेक्षा करती है हमारी यह पोस्ट-
http://shalinikikalamse.blogspot.com/2011/12/blog-post.html
कविता का तो जवाब नहीं, तस्वीर भी कमाल की लगाई है आपने!!!!
ReplyDelete,बहुत अच्छी प्रस्तुति है आपकी!! जीवन का कटु सत्य है.......!!!
ReplyDeleteजीवन के कटु सत्य को उजागर करती ,अनमोल प्रस्तुति...
ReplyDeleteआईना दिखाती असल तस्वीर..
ReplyDeleteबहुत बढिया
कड़वी सच्चाई को उजागर करती हुई पंक्तियाँ ......
ReplyDeletebahut badiya
ReplyDeletePlease Visit My Blog Ghost Real Pictures Paranormal and Find Love Mate
क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनायें !
ReplyDeleteमेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
http://seawave-babli.blogspot.com/
राजनीतिक प्रबंध पर सीधा प्रहार करतें हैं यह दोहे .भारत में मरने से पहले यह सोचना पड़ता है कहाँ मरे .विमान दुर्घटना में या बैलगाड़ी में या रेलगाड़ी में ,अस्पताल में या रैन बसेरे में जैसी जगह वैसा ही मुआवजा .बहरहाल मरने के ठिकाने बहुत हैं चुन तो लें .नव वर्ष मुबारक भाई साहब रविकर दिनकर जी ,दिनेश .
ReplyDeleteआपको एवं आपके परिवार के सभी सदस्य को नये साल की ढेर सारी शुभकामनायें !
ReplyDeleteरवि से पहले पहुंचते कवि रविकर हरबार
ReplyDeleteबात बात पर लिखा करें दोहे एक हजार