पूरण खण्डेलवाल 
 
 कुण्डलियाँ 
*मोदीखाने में विजी, गुजराती खामोश  ।
जला गो-धरा देखकर, गुजरा तीखा रोष  । 
गुजरा तीखा रोष,  दोष फिर भी है देना । 
पानी पी पी कोस, सेक्युलर तमगा लेना । 
वोट बैंक की नीति, पूतना ले ले गोदी । 
घाटे का व्यापार, करे क्या कोई मोदी ??
मोदीखाना=गोदाम 
मोदी=दुकानदार  
  गुजरा तीखा *मोश 
 मोश=लूट , ठगी
 
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति।
ReplyDeleteसादर
सुन्दर प्रस्तुति !!
ReplyDeleteआभार !!
वाह ...
ReplyDeleteवाह !!! बेहतरीन रचना,आभार,
ReplyDeleteRECENT POST : क्यूँ चुप हो कुछ बोलो श्वेता.
sundar prastuti
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति रविकर जी...
ReplyDelete