मिड डे मील से बच्चों की मौत पर ....
  Amrita Tanmay  
अफरा-तफरी मच गई, खा के मिड-डे मील | 
अफसर तफरी कर रहे, बीस छात्र लें लील | बीस छात्र लें लील, ढील सत्ता की दीखे | मुवावजा ऐलान, यही इक ढर्रा सीखे | आने लगे बयान, पार्टियां बिफरी बिफरी | किन्तु जा रही जान, मची है अफरा तफरी ||  | 
 
मिसरा,मतला,मक्ता,रदीफ़,काफिया,ने खुद्दारी की थी -सतीश सक्सेना
सतीश सक्सेना  
 पल्लेदारी खुब करी, बोरा ढोया ढेर । शब्द-अर्थ बोरा किया, रहा आज तक हेर । रहा आज तक हेर, फेर नहिं अब तक समझा। छा जाए अंधेर, काफिया मिसरा उलझा । उड़ा रहे उस्ताद, बना हुक्के से छल्ले । पायें पल पल दाद, पड़े नहिं रविकर पल्ले ॥  | 
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 सिसकारे बिन सह गया, सत्तर सकल निशान | 
उन घावों को था दिया, हमलावर अनजान | 
हमलावर अनजान, किन्तु यह घाव भयंकर | 
एक अकेला घाव, दिया अपनों ने मिलकर | 
प्राणान्तक यह घाव, खाय कर रविकर हारे | 
अन्तर दिखता साफ़, आज अन्तर सिसकारे || 
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 दशा सुधरती नहीं पर, धरती धरती धीर | हौले हौले ही सही, हलकी होगी पीर | हलकी होगी पीर, नीर अब तक नहिं सूखा | आहत हुआ शरीर, किन्तु मर जाता भूखा | कुदरत का कानून, तोड़ते होय हादसा | सोया देहरादून, दिखे नहिं कहीं दुर्दशा |  | 
 
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 अंधड़ ! 
पहले तो थे घेरते, आज लुटेरे टेर | एक बेर थे लूटते, अब लूंटे हर बेर ||  | 
अभी तो बहुत दर्द है..
ReplyDelete.बहुत ही बढ़िया..
ReplyDeleteAabhaar !
ReplyDeleteदुखद !!
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