Sunday 29 September 2013

बोलो साध्वी नारि, नहीं औरत देहाती-

  

"अमर भारती जिन्दाबाद" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

रूपचन्द्र शास्त्री मयंक 


गुरुवर ने अर्पित कए, भाव भरे शुभ छंद |
दीदी को शुभकामना, रहें स्वस्थ सानन्द |
रहें स्वस्थ सानन्द, यही रविकर सन्देशा |
देखो घर परिवार, सुखी संतुष्ट हमेशा |
मिले सभी का प्यार, मिले सब से शुभ आदर  |
साधो नित साहित्य, रहो  खुश दीदी गुरुवर ||

ग़ज़ल : हमारा प्रेम होता जो कन्हैया और राधा सा


बाधा हरते श्याम कब, हैं अपने में लीन |
कितनी सारी रानियाँ, राधा प्रेम प्रवीन |

राधा प्रेम प्रवीन, साँवरे व्यस्त हुवे हैं |
खाई हमने मात, खुदे उस ओर कुंए हैं |

खाईं खन्दक ढेर, नहीं अब जाए साधा |
दिखे युद्ध आसन्न, महाभारत की बाधा |


टीस

Asha Saxena 

तन के जख्मों पे लगे, मरहम रोज सखेद |
मन के जख्मों को सगे, जाते किन्तु कुरेद |
जाते किन्तु कुरेद, भेद करते हैं भारी |
ऊपर ऊपर ठीक, किन्तु अन्दर चिंगारी |
होना क्या मुहताज, मोह अब छोडो मन के |
कर के मन मजबूत, खड़े हो जाओ तन के ||

गैयों में आनंद, विलापें गधे दुवारे -
वारे न्यारे कब किये, कब का चारा साफ़ |
पर कोई चारा नहीं, कोर्ट करे ना माफ़ |

कोर्ट करे ना माफ़, दिखे करनी सी भरनी |
गौशाला आबाद, ,पार करले वैतरणी |

फटता अध्यादेश, कहाँ अब जाय पुकारे |
गैयों में आनंद, विलापें गधे दुवारे  |


"दर्पण काला-काला क्यों" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

रूपचन्द्र शास्त्री मयंक 









प्रश्नों के उत्तर सरल, पर रखते नहिं याद |
स्वार्थ-सिद्ध के मामले, भोगवाद उन्माद |

भोगवाद उन्माद , नशे से बहके बहके |
लेते रहते स्वाद, अनैतिक चीजें गहके |

नीति नियम आदर्श, हवा के ताजे झोंके |
रविकर आये होश, लिखे उत्तर प्रश्नों के || 



 भारत के रत्न मान पायें भारत के बाहर .

 Shalini Kaushik

तीखा हमला कर रहे, जब अपने युवराज  |
इनसे आगे चल पड़े, मोदी और नवाज |
मोदी और नवाज, शराफत दोनों छोड़ें |
त्याग समर्पण कर्म, प्यार के हाथ मरोड़ें |
पी एम् गांधी भक्त, बात जनपथ की भाती |
बोलो साध्वी नारि, नहीं औरत देहाती || 


तब दिग्विजय के मंद बुद्धि चेले ने आस्तीन चढ़ाके वह सब बोला जो मीडिया सेंटर में भारत के लोगों ने देखा। ये मदारी भोपाली अभी और भी करतब दिखलाएगा।

Virendra Kumar Sharma 
प्रणव नाद सा मुखर जी, पाता है सम्मान |
मौन मृत्यु सा बेवजह, ले पल्ले अपमान |

ले पल्ले अपमान , व्यर्थ मुट्ठियाँ भींचता |
बेमकसद यह क्रोध, स्वयं की कब्र सींचता |

नहिं *अधि ना आदेश, मात्र दिख रहा हादसा |
रविकर हृदय पुकार, आज से प्रणव नाद सा ||

*प्रधान


9 comments:

  1. सुंदर चर्चा !
    आदरणीय अमर भारती जी को जन्मदिन पर ढेरों शुभकामनाऐं !

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  2. मनोरम और भावप्रणव टिप्पणियों के लिए आभार।

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  3. सुन्दर संकलन!
    आभार!

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  4. बढ़िया काव्य टिप्पणी के साथ बढ़िया संकलन
    नई पोस्ट अनुभूति : नई रौशनी !
    नई पोस्ट साधू या शैतान

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  5. बहुत बढ़िया संकलन

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  6. हार्दिक आभार आदरणीय रविकर पोस्ट को इतना सम्मान देने हेतु यहाँ पर आपकर रचना सफल हो जाती है रचना पर आपके द्वारा रचित कुण्डलिया प्राप्त होना सौभाग्य की बात होती है. आशीष एवं स्नेह यूँ ही बनाये रखिये

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  7. गौशाले में गाय खुश, बछिया दिखे प्रसन्न |
    बछिया के ताऊ खफा, छोड़ बैठते अन्न |

    छोड़ बैठते अन्न, सदा चारा ही खाया |
    पर निर्णय आसन्न, जेल उनको पहुँचाया |

    करते गधे विलाप, फायदा लेने वाले |
    चारा पाती गाय, हुई रौनक गौशाले ||

    पशु चारा किसके मुंह में ?

    झारखंड की अदालत ने चारा खोरी के आरोप में लालू को रांची की जेल भेज दिया है। दिग्विजय कोर्ट की अवमानना करते हुए लालू के समर्थन में ये कहते हुए उतर आयें हैं -चारा लालू ने नहीं खाया है उनके खिलाफ षड्यंत्र किया गया है। दिग्विजय के इस वत्तव्य को लेकर जनता के मन में बड़ा आक्रोश है क्योंकि वह ९५० करोड़ रुपया जनता का था जो सरकारी कोष से चारा खरीद के लिए निकाला गया था। लालू ने चारा खाया नहीं जैसा दिग्विजय सिंह जी कह रहे हैं हालाकि उनका चारा खाना कोई अनहोनी नहीं है वह पशुओं के बीच रहते आयें हैं। भूख में आदमी कुछ तो खायेगा अन्न न मिला तो चारा ही सही। धुला हुआ चारा था।

    अब दिग्विजय सिंह जी कह रहें हैं चारा लालू ने खाया नहीं फिर चारा गया कहाँ ?क्या वर्चुअल चारा था लेकिन बिल तो असली थे पैसा तो सरकारी कोष से निकला था।

    क्या दिग्विजय खा गए उस चारे को ?उस पैसे को ,जांच होनी चाहिए इस बात की भी हो सकता है चारा इन्होनें ही खाया हो।

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