आ. बढ़िया प्रस्तुति , धन्यवाद ! ~ ज़िन्दगी मेरे साथ -बोलो बिंदास ! ~
वर्तमान परिदृश्य का सुंदर चित्रण कीन्ह. ताक़त बैलट नहीं दिखे, बुलट प्रान हर लीन्ह ... कहने का तात्पर्य यह है कि नक्सली अपने अंजाम तक पहुँचने में कितने प्रवीण हैं की सुरक्षा दल को चौंका देते हैं और निर्दोष मारे जाते हैं....
बहुत दिनों बाद :) आशा है सब होगा ठीक ठाक । बढ़िया ।
भ्रष्ट-व्यवस्था में नक्सल एवं आतंक जैसे नेता-मंत्रियों को पालने ही पड़ते हैं.....
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।-- आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (19-04-2014) को ""फिर लौटोगे तुम यहाँ, लेकर रूप नवीन" (चर्चा मंच-1587) पर भी होगी!--हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।सादर...!डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत सटीक अभिव्यक्ति .. सुन्दर कुण्डलियाँ..
बहुत ही सार्थक और सटीक रचना
prasangik .....
सच्ची बात कही रविकर ने, यही है मौक़ा करना है सो करो, बाद में मिले न मौका !
आ. बढ़िया प्रस्तुति , धन्यवाद !
ReplyDelete~ ज़िन्दगी मेरे साथ -बोलो बिंदास ! ~
वर्तमान परिदृश्य का सुंदर चित्रण कीन्ह. ताक़त बैलट नहीं दिखे, बुलट प्रान हर लीन्ह ... कहने का तात्पर्य यह है कि नक्सली अपने अंजाम तक पहुँचने में कितने प्रवीण हैं की सुरक्षा दल को चौंका देते हैं और निर्दोष मारे जाते हैं....
ReplyDeleteबहुत दिनों बाद :)
ReplyDeleteआशा है सब होगा ठीक ठाक ।
बढ़िया ।
भ्रष्ट-व्यवस्था में नक्सल एवं आतंक जैसे नेता-मंत्रियों को पालने ही पड़ते हैं.....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (19-04-2014) को ""फिर लौटोगे तुम यहाँ, लेकर रूप नवीन" (चर्चा मंच-1587) पर भी होगी!
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत सटीक अभिव्यक्ति .. सुन्दर कुण्डलियाँ..
ReplyDeleteबहुत ही सार्थक और सटीक रचना
ReplyDeleteprasangik .....
ReplyDeleteसच्ची बात कही रविकर ने, यही है मौक़ा
ReplyDeleteकरना है सो करो, बाद में मिले न मौका !