Sunday, 14 April 2013

नागँवार उनको लगे, जब ना लिखे गँवार-

नियमित नहिं लिक्खाड़-लिंक, लिख पाया ना सार । 
नागँवार जग-को लगे, जब ना लिखे गँवार । 

जब ना लिखे गँवार, मुश्किलें आईं हटकर । 
दुश्मन रहें प्रसन्न, सन्न सन्नाटा रविकर । 
 
बीते आपद-काल, शीघ्र हो जाय व्यवस्थित । 
त्वरित टिप्पणी छाप, ब्लॉग पर आये नियमित ॥ 

नीतीश की हरकत से मज़ा आ गया

दिवस 
 भारत स्वाभिमान दिवस

तीसमार खाँ तीर से, कर के गया गुनाह |
अल्लाता अलसेटिया, अभिनन्दित अल्लाह |

अल्लाता=चिल्लाना
अलसेटिया=व्यर्थ में अडंगा डालने वाला

17 comments:

  1. नव संवत्सर की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ!! बहुत दिनों बाद ब्लाग पर आने के लिए में माफ़ी चाहता हूँ

    बहुत खूब बेह्तरीन

    आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
    मेरी मांग

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  2. बहुत बढिया
    आभार

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  3. तीसमार खाँ तीर से, कर के गया गुनाह |
    अल्लाता अलसेटिया, अभिनन्दित अल्लाह |

    अल्लाता=चिल्लाना
    अलसेटिया=व्यर्थ में अडंगा डालने वाला

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  4. बहुत खूब सर जी .

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  5. एक दम सटीक कहा सर जी , कैसे भी नहीं जीने देते :)

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  6. वह सर जी क्या अंदाज़ है कहने का ,बेहतरीन प्रस्तुति

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  7. बहुत ही बेहतरीन गुरुदेव,आभार.

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  8. बहुत बढ़िया प्रस्तुति

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  9. वाह...बहुत बढिया।
    पढ़कर मन प्रसन्न हो गया।

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  10. बैसाखी व 'स्कन्दमाता दिवस' की वधाई !!
    गँवार का नागवार लगना अच्छा लगा !!

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  11. बीते आपद-काल, शीघ्र हो जाय व्यवस्थित ।
    त्वरित टिप्पणी छाप, ब्लॉग पर आये नियमित ॥ बहुत बढ़िया प्रस्तुति,आभार रविकर जी...


    Recent Post : अमन के लिए.

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  12. मत चूके चौहान - मौका कोई नहीं चूकते आप !

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  13. सुंदर रचना.अच्छी प्रस्तुति .बधाई .

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