धमाचौकड़ी धमाके, माँ के बाँके लाल ।
ठोको कील शकील के, बके बयान कमाल ।
बके बयान कमाल, माल से वोट कमाओ ।
धरा खून से लाल, लाल पी एम् बनवाओ ।
समझौता नक्सली, दोस्त आतंकी आओ ।
मारो पब्लिक धूर्त, दुबारा चलो जिताओ ॥
उपेक्षित होने का दर्द कहलवा रहा है दूसरे ब्लॉगों को Bakwas
DR. ANWER JAMAL
बच्ची बच्चा बस बचा, चचा चची का जोर ।
धमाचौकड़ी ले मचा, नचा रहा मन-मोर ।
नचा रहा मन-मोर, मुबारक क्लिक किलकारी ।
लिखते ब्लॉग करोर, किन्तु कुछ ही नर नारी ।
डालें व्यापक छाप, छाप कर झूठी सच्ची ।
कर रविकर तू वोट, जियें कुल बच्चा बच्ची ॥
वाह !!! बहुत बेहतरीन रचना,आभार,
ReplyDeleteबहुत सुन्दर टिप्पणी काव्य!
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteबहुत सुन्दर गुरूजी :)
ReplyDeleteकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
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जगह जगह से चुनकर आपने बहुत अच्छे लिंक्स इकठ्ठा किये हैं.
ReplyDelete'ब्लॉग की खबरें' वाली पोस्ट को स्थान देने के लिये शुक्रिया.
अरे वाह! बहुत सुन्दर
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