Thursday, 4 April 2013

आये बाज बजाज नहिं , राहुल की इस्पीच

आये बाज बजाज नहिं , राहुल की इस्पीच । 
बॉडी लैंग्वेज भा गई, भूले बाकी चीज । 

भूले बाकी चीज, भाजपा को ना भाये । 
मोदी पर बेवजह, बहुत राहुल झल्लाये । 

रविकर चोंच लडाय, बाज को पुन: जिताए । 
गौरैय्या का भाग्य, बाज फिर से ना आये ॥ 

12 comments:

  1. सुन्दर पंक्तियाँ !!
    आभार !!

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  2. बहुत सुन्दर ...........

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  3. शानदार प्रस्तुतिकरण.

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  4. बहुत सुन्दर!

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  5. हमेशा की तरह जमकर खिंचाई-बधाई !

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  6. बेशक एक जोरदार रचना " बाज़ बाज गर आ जाये ,नहीं बाज़ वह कहलाये

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  7. सार्थक अभिव्यक्ति!
    साझा करने हेतु आभार!

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  8. आदरणीय गुरुदेव श्री सादर प्रणाम जोरदार कुण्डलिया रची हैं आपने राहुल के इस्पीच पर हार्दिक बधाई स्वीकारें.

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  9. रविकर चोंच लडाय, बाज को पुन: जिताए ।
    गौरैय्या का भाग्य, बाज फिर से ना आये ॥ बहुत उम्दा,,,,

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  10. बहुत सटीक पैना व्यंग्य .

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  11. किसी को नहीं छोड़ेंगे बिना खिचाई किये वैसे जरूरी भी है बहुत बढ़िया भाई जी बधाई

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