Saturday 26 October 2013

कई निठल्ले हैं यहाँ, लिखते बढ़िया ब्लॉग -

कार्टून :- अबके कॉंग्रेस के हारने का सबसे बड़ा कारण

काजल कुमार Kajal Kumar


 कई निठल्ले हैं यहाँ, लिखते बढ़िया ब्लॉग |
करो एपॉइंट एक को, लगा सकें ये आग |

लगा सकें ये आग, लिखेंगे भाषण धांसू |
नहीं कहीं बेवजह, बहाने होंगे आंसू |

करा रिहर्सल खूब, वोट में बदल धड़ल्ले |
करें काज आसान, काम के कई निठल्ले ||


सुरसा सी बढ़ रही मंहगाई से आम आदमी त्रस्त और नेता हैं मस्त ....

mahendra mishra 
इत शोभन सरकार हैं, उत शोभा सरकार |
इत सोना का प्यार है, उत सोना धिक्कार |
उत सोना धिक्कार, बड़ा सस्ता है सोना |
मँहगाई की मार, पड़ा है छूछ भगोना |
सपने पे इतबार, पांच रुपये में भोजन |
मंत्री मारे मौज, मौज मारे इत शोभन ||



गंडा बाँधे फूँक कर, थू थू कर ताबीज |
गड़ा खजाना खोद के, रहे हाथ सब मींज |

रहे हाथ सब मींज, मरी चुहिया इक निकली |
करे मीडिया मौज, उड़ा के ख़बरें छिछली |

रकम हुई बरबाद, निकलते दो ठो हंडा |
इक तो भ्रष्टाचार, दूसरा  प्रोपेगंडा | 

*कसंग्रेस भी आज, करें दंगों का धंधा

अन्धा बन्दर बोलता, आंके बन्दर मूक |
गूंगा बन्दर पकड़ ले, हर भाषण की चूक |

हर भाषण की चूक, हूक गांधी के दिल में  |
मार राख पर फूंक, लगाते लौ मंजिल में  |

*कसंग्रेस भी आज, करें दंगों का धंधा |
मत दे मत-तलवार, बनेगा बन्दर अन्धा ||

* जैसा राहुल के इंदौर के कार्यक्रम के पोडियम पर लिखा था- 

नहीं आ रहा बाज, बजाये मारू बाजा-

बाजारू संवेदना, दिया दनादन दाग |
जिसको भी देखो यहाँ, उगल रहा है आग |

उगल रहा है आग, जाग अब जनता जाती |
लेकर मत में भाग, जोर से उन्हें भगाती |

छद्म रूप में आज, धर्म निरपेक्ष विराजा |
नहीं आ रहा बाज, बजाये मारू बाजा || 



कौशल्या-दशरथ ; भगवती शांता ;मर्यादा पुरुषोत्तम राम की सगी बहन


भाग-3 
कुण्डलियाँ 

 दुख की घड़ियाँ सब गिनें, घड़ी-घड़ी सरकाय ।
धीरज हिम्मत बुद्धि बल, भागे तनु विसराय ।
भागे तनु विसराय, अश्रु दिन-रात डुबोते ।
रविकर मन बहलाय, स्वयं को यूँ ना खोते ।
समय-चक्र गतिमान, मिलाये सुख की कड़ियाँ ।
मान ईश का खेल, बिता ले दुख की घड़ियाँ ।। 



5 comments:

  1. बेहतरीन प्रसुतिओं से सजा मंच

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज रविवार (27-10-2013)
    जिंदगी : चर्चा अंक -1411 में "मयंक का कोना"
    पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    अहोई अष्टमी की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. कई निठल्ले हैं यहाँ, लिखते बढ़िया ब्लॉग -

    इत शोभन सरकार हैं, उत शोभा सरकार |
    इत सोना का प्यार है, उत सोना धिक्कार...
    "लिंक-लिक्खाड़" पर रविकर

    मात सोनिया बाँध के रख्खो बछड़ा पास

    अब भी थोड़ी बहुत है वोट मिलन की आस?

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  4. वाह बहुत सुन्दर .. :) :)

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