Monday 25 April 2011

हटे दीवाल से जब, बिके तू पैसा-पैसा

                (1)
ये  हैं  बड़े पेड़, बेहद  सड़े  पेड़ 
बहुतै खतरनाक, टेढ़े खड़े पेड़ 
अब-तब करें देर, है बड़ी अंधेर 
घोंसले मिट रहे, जिदपर अड़े पेड़  
                                                     (2)
पद का मद बड़ा भारी है, ये  जो  कुर्सी है,  सरकारी  है
कर कल्याणकारी कार्य, अन्यथा पद-प्रहार की बारी है   
                        (3)
अजी क्यों ऐंठा ऐसा, लगे इक गोइठा जैसा
हटे  दीवाल  से  जब, बिके  तू   पैसा-पैसा
                          (4)
बेहरा, बना  आज बरगद,टूटी वर्जनाएं,खुली सरहद,
इनकी साया में लगे पौधे, अब हो चुके कमजोर बेहद                                                          (5) 
जटा बरगद की, फैल चुकी ऐसे-
तिनका भी 'रविकर' उग पाए कैसे  ?
           (1)
असरदार असरहीन हो गए,सरदार के अधीन हो गए
प्रतिकूल प्रर्यावरण में वे, माईनिंग की हुई जमीन हो गए
            (2)

धन बाद  में  पहले पटना है  
स्कालर्स का भाग लेना सामान्य घटना है
उनका असर ही है कुछ  ऐसा 
घटना है, नहीं तो पटना है
            (3)
सैंया भये कोतवाल, करते रहो बवाल
मिनी मनी-प्लांट, हर-खता देगा टाल
            (4)
उस  इमली  की  छाया  तले
दो भले 
मिल ही रहे थे गले कि- 
इक कार आ गई
-बेकार आ गई (मैं)
-बेकार आ गई (तू)
सच-मुच बेकार आ गई (कार)

          
                      (5)

बास जैसा कहे, वैसा करते  रहो. 
जो पहले सहा है, तो अब भी सहो.
                           (6)
ये अपना बास है, काटना जानता है 
थूकना जानता है, चाटना जानता है

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