Monday 25 April 2011

झल्ला है अफरीदी

        (1)
शहरी ने पूछा - स्टुडेंट्स यहाँ क्या करने आते हैं?
एम्प्लोयी का जवाब - मूँछ उगाने, क्योंकि इंटेलिजेंसी तो बढती नहीं,
                                 बस चेहरे पर चेंज आता है.
शहरी- और आपसब यहाँ क्या करने आते हैं??
EMPLOYEE-पूँछ उगाने. 
शहरी- मतलब?
EMPLOYEE-परिवार बढाने के अलावा और क्या करते हैं हम?
               
                    (2)
किसी कालोनी में MOTERCYCLE / कारों की संख्या बदने का कारण
मैडमों को उनकी सहेलियों की यह सलाह  है-
" नहीं खरीदते तो रोज लड़ाई करनी  शुरू  कर दो " 
मजेदार चीज ये कि,  न तो मैडम और न साहब ही वाहन  बाहर  ले जाते हैं.
ऑटो ही प्रिय सवारी बनी रहती है.
                    
                  (3)

तेंदुलकर अब भी लिटिल मास्टर कहला रहे, क्या ग्रैंड-मास्टर चेस की बपौती है?
उन्हें ग्रैंड मास्टर कहना शुरू करता हूँ मै, तुम भी कहो, कल दुनिया भी कहेगी .
ग्रैंड मास्टर सचिन तेंदुलकर

  (1)
मोहाली   में
पाक   की  हार 
झल्लाए  अफरीदी. 
भारतीयों  को बताता तंग-दिल.
झल्ला  है  अफरीदी,
हार  से, पाकियों की मार से गया  है  हिल.

                 (2)
राजपक्षे  हैं  बड़े  अच्छे.
121 करोड़ पडोसी खुश  कर  दिए, 
अपनी  झोली  में  आंसू  भर  लिए.
आज रावण होता 
राजपक्षे को बड़े अच्छे से धोता.

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