चारो पैरों के तले, गुम्मे रक्खो चार,
क्रिकेट किट पर किट धरो, करे नहीं इनकार |
करे नहीं इनकार, चूर गुम्मा हो जाए,
हुई इन्तिहा जान, होय घायल तड़पाए |
क्रिकेट किट पर किट धरो, करे नहीं इनकार |
करे नहीं इनकार, चूर गुम्मा हो जाए,
हुई इन्तिहा जान, होय घायल तड़पाए |
कहता क्रिकेट बोर्ड, गधे ऐसे ही मारो,
चाहे थू-थू करें, दिशाएँ हम पर चारो ||
बेहतरीन ।
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति..सटीक व्यंग..
ReplyDeleteअध्यापकदिन पर सभी, गुरुवर करें विचार।
ReplyDeleteबन्द करें अपने यहाँ, ट्यूशन का व्यापार।।
छात्र और शिक्षक अगर, सुधर जाएँगे आज।
तो फिर से हो जाएगा, उन्नत देश-समाज।।
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अध्यापक दिवस पर बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
जी हाँ भाई साहब जिस"किरकेट बोर्ड" का पानी उतर चुका है जो बे -आब ,बे -आबरू है उसका सिर्फ मज़ाक ही उड़ाया जा सकता है गंभीर विमर्श नहीं हो सकता उसकी हरकतों पर .
ReplyDeleteकहता क्रिकेट बोर्ड, गधे ऐसे ही मारो,
चाहे थू-थू करें, दिशाएँ हम पर चारो ||
सुन्दर अभिव्यक्ति बधाई
ReplyDeleteशिक्षक दिवस की बधाइयाँ
सही और सटीक ...
ReplyDeleteवाह! बहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत बढ़िया!
ReplyDeleteशिक्षक दिवस की शुभकामनाएँ और सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन जी को नमन
प्रिय रविकर जी अभिवादन रचना की प्रस्तुति गजब की रही रंग बिरंगी इन गधों को जहाँ देखों इतना सम्मान प्यार मिल रहा है क्या ख़िताब पाया लेकिन किस किसको सुधरेंगे ...केवल एक को ही क्यों ??.....
ReplyDeleteआभार
भ्रमर ५
bahut khoob.
ReplyDeleteआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल मंगलवार के चर्चा मंच पर भी की गई है!
ReplyDeleteयदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।
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शिक्षक दिवस की शुभकामनाएँ!
Our cricketers need to be more sincere in their efforts.
ReplyDeleteसब मिली भगत का खेल है ... पैसे पूरे नहीं मिले होंगे ...
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