Wednesday 7 September 2011

खून में लटपटाय

चहुँ-ओर हाय-हाय,  हाथ-पैर खोय-खाय
खून में लटपटाय, मरा  या  बेहोश है |



 
है 
नहीं  काहू से डरत, बम-विस्फोट करत,
बेकसूर ही मरत,  करे  जय-घोष  है |

टका-टका बिकाय के, ब्रेन-वाश कराय के,
आका बरगलाय के, रहा  उसे  पोस है |

पब्लिक पूरी पस्त है, सत्ता अस्त-व्यस्त है
सरपरस्त मस्त है, मौत का आगोश है ||

12 comments:

  1. दिल्ली हाईकोर्ट कुल हत्या नौ।

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  2. हमारे सरपरस्त मनमोहन पर कोई जादू की छड़ी (बम-डिटेक्टर) नहीं है जिससे विस्फोट से पहले ही जान लिया जाए कि वह फटने वाला है...
    सोनिया जी बेहद बीमार हैं .. खुद ही निबटो भाई... अभी लौटी भी नहीं कि लगे रोने-चिल्लाने... उनके बोफोर्स प्रिय तोपची का तो नामोनिशान ही नहीं मिला था यहाँ तो भी हाथ-पाँव मिल रहे हैं.

    रविकर जी आपने सामयिक लिखा ... अपनी पीड़ा को दोहों में उतार दिया... जो इस पीड़ा को भोग रहा होगा वह इसे द्रोह में उतारने को बेचैन होगा.. यह द्रोह देश के प्रति न होकर व्यवस्था के प्रति है... आमजनता का आक्रोश इतना इकट्ठा हो गया है कि वह अब इस सरकारी बड़े को पूरे का पूरा डुबो देना चाहती है.

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  3. आमजनता का आक्रोश इतना इकट्ठा हो गया है कि वह अब इस सरकारी बेड़े को पूरे का पूरा डुबो देना चाहती है.

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  4. जहाँ देश के कर्णधार ही कह रहे हों कि..हर बम धमाकों को रोका नहीं जा सकता ,उस देश की जनता को कौन बचा सकता है

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  5. मुंबई धमाके की गैर-जिम्मेदारी भरा
    व्यक्तव्य फिर ताजा हो गया ||

    चिदंबरम उवाच !

    इकतिस महिना न हुआ, माँ मुम्बा विस्फोट |
    तीन फटे तेइस मरे, व्यर्थ निकाले खोट ||

    जनता पूछे--

    जनता पूछे देश में, कितने महिने और |
    गृह-मंत्री जी बोलिए, मिलिहै हमका ठौर ||


    फिर भी --

    चर्चित चेहरे देश के, करते है उम्मीद |
    आज मुहर्रम हो गई, कल होवेगी ईद ||

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  6. फिर दिया अवसर आतंकियों ने हम भारतीयों को संवेदनाएं प्रकट करने/कराने का...
    एक और आतंकी हमले को दिया अंजाम...
    दिल्ली हाई कोर्ट के बाहर धमाका...
    अब बयान बाजी शुरू होगी-
    प्रधानमंत्री ...... हम आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा देंगे ...
    दिग्गी ...... इस में आर एस एस का हाथ हो सकता है
    चिदम्बरम ..... ऐसे छोटे मोटे धमाके होते रहते है..
    राहुल बाबा ..... हर धमाके को रोका नही जा सकता...
    आपको पता है कि दिल्ली पुलिस कहाँ थी?
    अन्ना, बाबा रामदेव, केजरीवाल को नीचा दिखाने में ?????

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  8. ये सरकार की लापरवाही का नतीजा है..
    सरकार मस्त पब्लिक पस्त
    जीवन अस्त-व्यस्त है...

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  9. एक और नतीजा भ्रष्ट सरकारी तंत्र का ... देश की लोगों की चिंता नहीं है इन्हें ... अपनी कुर्सी की चिंता है बस ..

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  10. आदरणीय रविकर जी
    सादर वंदे मातरम् !

    घनाक्षरी के माध्यम से आतंकी बम विस्फोट का वर्णन …
    आदरणीय मदन शर्मा जी के कमेंट का हिस्सा साभार उद्धृत करना चाहूंगा -
    अब बयानबाजी शुरू होगी-
    प्रधानमंत्री ...... हम आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा देंगे ...

    दिग्गी ...... इस में आर एस एस का हाथ हो सकता है

    चिदम्बरम ..... ऐसे छोटे मोटे धमाके होते रहते है..

    राहुल बाबा ..... हर धमाके को रोका नही जा सकता...

    आपको पता है कि दिल्ली पुलिस कहाँ थी?
    अन्ना, बाबा रामदेव, केजरीवाल को नीचा दिखाने में ?????


    नकटों को शर्म कब आई है जो अब आएगी ??


    ♥ भारत का आम नागरिक ही अब बुद्धि से , पूरी समझदारी से निर्णय ले यही कामना है !♥

    मन-मस्तिष्क को आंदोलित करती रचना के लिए आभार !
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  11. कायर कौन ?

    कायर कौन ?

    आतंकवाद ,बयानबाजी ,मज़हब ,सुरक्षा !

    क्या वो आतंकवादी कायर हैं जो बाकायदा ई -मेल करने के बाद आतें हैं और मज़हब के नाम पर कामयाब विस्फोट करके चले जातें हैं अपने चुनिन्दा स्थानों पर ,निर्धारित दिन समय पर ?

    या वह सरकार और उसके मुखिया कायर हैं जो चुप करके बैठ जातें हैं .और फिर कहतें हैं यह दिल्ली पर कायराना हमला है .ये नहीं कहते भारत पर कायराना हमला है .जैसे दिल्ली अलग है और भारत अलग है ।

    हालाकि शायराना शब्द प्रयोग तो उर्दू में है लेकिन कायराना वाक्य प्रयोग मनमोहन सिंह जी की देन समझी जायेगी .

    आतंकवादी कहतें हैं और बा -खूबी समझतें हैं जो सरकार अपने ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा फांसी की सजा पाए आतंकवादियों की फांसी पर अमल नहीं करा सकती वह हमारा क्या बिगाड़ लेगी ।

    ये सरकार तो अपने सशश्त्र बलों का भी एक हाथ पीछे बांधकर हमसे मुकाबला करने भेजती है ।

    खुद "कायराना "शब्द सोचता होगा कैसा आदमी ,कैसा मोहना आज इस का प्रयोग कर रहा है जो इसकी पात्रता ही नहीं रखता .जिसके प्राधिकृत प्रवक्ता ख़ूंखार आतंकी ओसामा बिन लादेन के मारे जाने पर ओसमा जी संबोधन के साथ कहतें हैं उन्हें "ओसामा जी "को इस्लामी रीतिरिवाज़ से सुपुर्दे ख़ाक किया जाना चाहिए था ।

    शहीद मोहन सिंह जी की शहादत को जिसके हिमायती और तिहाड़ी डीलर सवालिया निशान लगातें हैं वह सरकार बयानबाजी से आगे कभी बढ़ेगी ?

    असली कायर है कौन ?

    आतंकवादी या बयानबाज़ काग भगोड़ा ?

    लिनक्स :आतंकवाद ,बयानबाजी ,मज़हब ,सुरक्षा !

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  12. मनमोहन उवाच !यह एक लम्बी लड़ाई है जो देर तक चलनी है .श्री मान जी बीस साल तो हो गये .और क्या इरादा है .
    किस्मत वालों को मिलती है "तिहाड़".
    http://veerubhai1947.blogspot.com/
    नहीं काहू से डरत, बम-विस्फोट करत,
    बेकसूर ही मरत, करे जय-घोष है |
    भाई साहब !क्या कीजिएगा इन रीढ़ विहीन ,स्पाइन लेस काग भगोड़ों का ?

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