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इटेलियन सैलून में, कटा सिंह नाखून ।
भारी भोलापन पड़ा, लगा देश को चून ।
लगा देश को चून, नून जख्मों पर छिड़का ।
करते गंडा-गोल, तभी जी डी पी लुढका ।
है दैनिक विज्ञप्ति, आज भी सहें इंडियन ।
किया पुन: ब्रेक-फास्ट , पीजा मिला इटेलियन ।।
इटेलियन सैलून में, कटा सिंह नाखून |
पुत्र जन्म पर बट चुका, सन पैतिस में चून |
सन पैतिस में चून, मोहिनी सूरत भाई |
भाई को बहलाय, लकड़ सुंघा बुलवाई |
लकड़ी दिया सुंघाय, आज कोयला हो जाता |
छक्के अमृत-पान, सुबह से पीजा खाता ||
ram ram bhai
चुस्त धुरी परिवार की, पर सब कुछ मत वार |
देहयष्टि का ध्यान कर, सेहत घर-संसार |
सेहत घर-संसार, स्वस्थ जब खुद न होगी |
सन्तति पति घरबार, भला हों कहाँ निरोगी ?
संरचना मजबूत, हाजमा ठीक राखिये |
सक्रिय रहे दिमाग, पदारथ सकल चाखिये ||
नुक्कड़
नुक्कड़ पर हो भर्त्सना, सही संतुलित शब्द |
अच्छाई सह खामियाँ, देखें लिखे दशाब्द |
देखें लिखे दशाब्द, चूक को माफ़ कीजिये |
अनियमतायें व्याप्त, सभी दायित्व लीजिये |
कह रविकर करजोर, बनों न मित्रों थुक्कड़ |
लो कमियों से सीख, करो जगमग फिर नुक्कड़ ||
पंचमेल खिचड़ी पकी, मजेदार स्वादिष्ट |
क्यूँकर व्यर्थ खरचना, श्वेत चार ठो पृष्ट |
श्वेत चार ठो पृष्ट, सर्प रह रह फुफकारे |
कछुवे की हो जीत, हारता शशक दुबारे |
मोर मोइनी सोनि, पटाले सिंह मोहना |
सर्कस चालू अहे, छोडिये बाट जोहना ||
उत्कृष्ट प्रस्तुति का लिंक <a href="http://dineshkidillagi.
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Coal, lion and Baba - कोयला, शेर और बाबा
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इटेलियन सैलून में, कटा सिंह नाखून |
पुत्र जन्म पर बट चुका, सन पैतिस में चून |
सन पैतिस में चून, मोहिनी सूरत भाई |
भाई को बहलाय, लकड़ सुंघा बुलवाई |
लकड़ी दिया सुंघाय, आज कोयला हो जाता |
छक्के अमृत-पान, सुबह से पीजा खाता ||
नारी शक्ति :भर लो झोली सम्पूरण से
Virendra Kumar Sharmaram ram bhai
चुस्त धुरी परिवार की, पर सब कुछ मत वार |
देहयष्टि का ध्यान कर, सेहत घर-संसार |
सेहत घर-संसार, स्वस्थ जब खुद न होगी |
सन्तति पति घरबार, भला हों कहाँ निरोगी ?
संरचना मजबूत, हाजमा ठीक राखिये |
सक्रिय रहे दिमाग, पदारथ सकल चाखिये ||
परिकल्पना-सम्मान और अपमान !
संतोष त्रिवेदीनुक्कड़
नुक्कड़ पर हो भर्त्सना, सही संतुलित शब्द |
अच्छाई सह खामियाँ, देखें लिखे दशाब्द |
देखें लिखे दशाब्द, चूक को माफ़ कीजिये |
अनियमतायें व्याप्त, सभी दायित्व लीजिये |
कह रविकर करजोर, बनों न मित्रों थुक्कड़ |
लो कमियों से सीख, करो जगमग फिर नुक्कड़ ||
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आचार्य परशुराम जी
ताल पुराना पाय के, दादुर करे गुड़ूप |
टर्राता टर टर टिकत, छोड़े अपना कूप |
छोड़े अपना कूप, मित्रता भाव निभाते |
एक कुंए की बात, बैठ के मन बहलाते |
करे प्रशंसा ढेर, बहुत आये फुदकाना |
पहली पहल सवेर, देखता ताल पुराना ||
टर्राता टर टर टिकत, छोड़े अपना कूप |
छोड़े अपना कूप, मित्रता भाव निभाते |
एक कुंए की बात, बैठ के मन बहलाते |
करे प्रशंसा ढेर, बहुत आये फुदकाना |
पहली पहल सवेर, देखता ताल पुराना ||
एक में अनेक !
मोर,खरगोश,कछुआ,सांप,शेर |
पंचमेल खिचड़ी पकी, मजेदार स्वादिष्ट |
क्यूँकर व्यर्थ खरचना, श्वेत चार ठो पृष्ट |
श्वेत चार ठो पृष्ट, सर्प रह रह फुफकारे |
कछुवे की हो जीत, हारता शशक दुबारे |
मोर मोइनी सोनि, पटाले सिंह मोहना |
सर्कस चालू अहे, छोडिये बाट जोहना ||
blogspot.in/"> लिंक-लिक्खाड़ </a> पर है ।।
:)
ReplyDeleteBahut khoob.
ReplyDelete............
ये खूबसूरत लम्हे...
wah bhae wah khari khari kahi
ReplyDeleteWAH KHOOB KHARI KHARI KAHI
ReplyDeleteनुक्कड़
ReplyDeleteनुक्कड़ पर हो भर्त्सना, सही संतुलित शब्द |
अच्छाई सह खामियाँ, देखें लिखे दशाब्द |
देखें लिखे दशाब्द, चूक को माफ़ कीजिये |
अनियमतायें व्याप्त, सभी दायित्व लीजिये |
कह रविकर करजोर, बनों न मित्रों थुक्कड़ |
लो कमियों से सीख, करो जगमग फिर नुक्कड़ ||
बढिया सीख देती टिपण्णी .
फैजाबादी जी, मनोज ब्लॉग पर आँच-119 परशुराम राय द्वारा लिखी पोस्ट है। वैसे फोटो परशुराम राय की और नाम हरीश प्रकाश गुप्त जी लगा दिया है आपने। एक बार पुनः पोस्ट एवं विवरण देखें।
ReplyDeleteभाई,,,,बहुत खूब,,,,,बेहतरीन प्रस्तुति,,,,,
ReplyDeleteसही कह रहे हो भाई !
ReplyDeleteआभार आपके स्नेह का !
बहुत उम्दा !
ReplyDeleteआप स्वयं तो उम्दा लिखते ही हैं, अन्य ब्लॉगर्ज़ के कथ्य को आत्मसात करके लिखने की आपकी फैकल्टी भी कमाल है. शुभकामनाएँ आपके लिए.
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