Thursday 20 September 2012

कायर ना कमजोर, मगर आदत के मारे -



हम कतार में ,

udaya veer singhat 
सदा लिबर्टी ले रहे, सेलिब्रिटी अवतार |
हम कतार में ही मरें, बार बार हर बार |
बार बार हर बार, ख़त्म राशन हो जाता |
ख़तम सिनेमा टिकट, नहीं एडमिशन पाता |
कायर ना कमजोर, मगर आदत के मारे |
दान करें मतदान, हमेशा बिना विचारे ||


ख़बरें सेहत की

Virendra Kumar Sharma  
बचपन में लो बूस्टर, पियो एनर्जी ड्रिंक ।
फास्ट फ़ूड लो टिफिन में, भर लो काली इंक ।
भर लो काली इंक, लिखेगा काला काला ।
कई तरह के लिंक, निकाले देह-दिवाला । 
कामोत्तेजक ड्रग्स, करो उत्तेजित पचपन ।
झेले कहाँ शरीर, बुढापे तक रे *बचपन ।।
*बचपना
 

वरदान है नींबू

Kumar Radharaman  

भोजन में नियमित करूँ, निम्बू का उपयोग |
निश्चित ही बचता रहा, रहता सुखी निरोग |
रहता सुखी निरोग , बड़ा  नींबू गुणकारी |
प्रस्तुति है उत्कृष्ट, सभी पाठक आभारी |
लगे स्वाद अम्लीय, मगर क्षारीय असर है |
खावो नींबू खूब, स्वस्थ रखता रविकर है ||


आवश्यकता है एक " पोस्टर ब्वाय " की !

महेन्द्र श्रीवास्तव  
आधा प्लस आधा हुआ, पूरा पूरा सत्य |
ठगे हुवे हम हैं खड़े, देखें काले कृत्य |
देखें काले कृत्य , छंद गंदे हो जाते |
कुक्कुरमुत्ते उगे, मगर क्या बहला पाते ?
जगना हुआ हराम, भला था सोये रहते |
देखा मुंह में राम, छुरी को कैंची कहते ||

चिंतन ...

सदा 
सहमत होने पर हिले, जब हल्का सा शीश ।
हुवे असहमत तो भले, क्यूँ जाते हो रीश ?
क्यूँ जाते हो रीश, पटकते बम क्यूँ भाई ?
पटक रहे अति विकट, पड़े क्या उन्हें सुनाई ?
प्रकट करो निज भाव, कहो ना बुरा भला कुछ  ।
सीखो संयम धैर्य, गया ना कहीं चला कुछ ।


बंद

Ramakant Singh 
फिर से जाता डाल पर, कंधे से बेताल ।
बिक्रम के उत्तर सही, फिर भी करे मलाल ।
 फिर भी करे मलाल, साल भर यह दुहराए ।
कंधे पर बेताल, कभी शाखा लटकाए ।
होता हल मजदूर, सदा वह हल को तरसे ।
नेता का क्या मित्र, बंद देखोगे फिर से ।।

10 comments:

  1. सभी एक से एक। क्या कहने!

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  2. बहुत बढिया लिंक्स
    मैं भी हूं यहां
    अच्छा लगा

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  3. सभी बहुत सुन्दर...

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  4. वाह आदरणीय सभी रचनाएँ एक से बढ़ कर एक है
    उन्नयन ,वरदान निम्बू, आधा सच ,आत्म चिंतन ,जरुरत

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