DR. ANWER JAMAL
![]() हरकत यह अच्छी नहीं, छोड़ सिपहसालार |
करे हवाले मौत के, होवें साथी पार |
होवें साथी पार, लड़ाई आर-पार की |
वर्दी को धिक्कार, जिंदगी ले उधार की -
होकर के सस्पेंड, दुबारा होगी शिरकत |
लेकिन अफसर अन्य, सहे ना इनकी हरकत ||
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प्रवीण शाह
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गोड़े उर्वर खेत को, काटे सज्जन वृन्द ।
इसके क्रिया-कलाप है, जमींदार मानिन्द
जमींदार मानिन्द , सताता रहे रियाया ।
मुजरिम देख दबंग, सामने जा रिरियाया ।
देख काल आपात, कमांडर तनहा छोड़े ।
लेकर भागे जान, पुलिस में भरे भगोड़े ॥
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शापित सुनार
प्रतुल वशिष्ठ ॥ दर्शन-प्राशन ॥ विषयी वतसादन वेश धरे विषठा भख भीषण रूप धरे । हतवीर्य हरे हथियाय हठात हताहत हेय कुकर्म करे । विषयी=कामुक वतसादन=भेड़िया विषठा=मल हतवीर्य=नपुंसक सुकुमारि सकारण युद्ध लड़े विषपुच्छन को बहुतै अखरे । मनसा कर निष्फल दुष्टन की मन सज्जन में शुभ जोश भरे । विषपुच्छन =विच्छू |
अभ्युदय के जन्मदिन पर
Kailash Sharma
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खुशियाँ हो भरपूर, कीर्तिवान हो जगत में ।
हो मनोकामना-पूर्ण, प्यारे बाबा के सकल ।। बिद्या-बुद्धि शौर्य, शारद दुर्गा भेंटती । संयम निष्ठा धैर्य, मात-पिता गुरु से मिले ।। अभ्युदय खुशहाल, होय निरोगी देह पुष्ट । बाबा रहे सँभाल, बाबा को नित पूज रे ।। |
मर्यादा पुरुषोत्तम राम की सगी बहन : भगवती शांता -12
सर्ग-3
भाग-1 ब
एक दिवस की बात है, बैठ धूप सब खाँय |
घटना बारह बरस की, सौजा रही सुनाय ||
सौजा दालिम से कहे, वह आतंकी बाघ |
बारह मारे पूस में, पांच मनुज को माघ ||
सेनापति ने रात में, चारा रखा लगाय |
पास ग्राम से किन्तु वह, गया वृद्ध को खाय ||
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Dr.J.P.Tiwari
pragyan-vigyan
चिंतन दर्शन सम हुआ, कविता है अभिव्यक्ति | वैज्ञानिक अध्यात्म से, ग्रहण करें नहिं शक्ति | ग्रहण करें नहिं शक्ति, भेद करना ही सीखा - करते वर्गीकरण, तर्क कर जाते तीखा | रविकर ताक अभेद, मिलें द्वय जुड़े चिरन्तन | कर मानव कल्याण, धर्म से सम्यक चिंतन || |
प्रासंगिक टिप्पणियाँ आज के सामजिक राजनीतिक विद्रूप पर व्यंग्य विडंबन कुंडली नुमा शैली में .
ReplyDeleteडॉ ज़माल अनवर !जीवन में कुछ ज़ज्बा भी होता है कर्मठता भी होती है .भारत उन पांच फीसद लोगों की वजह से ही चल रहा है जो कर्तव्य निष्ठ हैं .९ ५ % हरामखोरों की वजह से नहीं जो जो वर्दी
ReplyDeleteसमेत पूंछ दबा भाग रहे हैं .और यही दुम राजनीति के धंधे बाजों राजा चोरों के सामने हिला रहे हैं (भैया कैसा साला ).
ज़िया उल हक़ सीओ की हत्या पर समाज का एक विश्लेषण
DR. ANWER JAMAL
Hindi Bloggers Forum International (HBFI)
हरकत यह अच्छी नहीं, छोड़ सिपहसालार |
करे हवाले मौत के, होवें साथी पार |
होवें साथी पार, लड़ाई आर-पार की |
वर्दी को धिक्कार, जिंदगी ले उधार की -
होकर के सस्पेंड, दुबारा होगी शिरकत |
लेकिन अफसर अन्य, सहे ना इनकी हरकत ||
सार्थक टिप्पड़ियों के साथ बेहतरीन प्रस्तुति,आभार आदरणीय.
ReplyDeleteरविकर जी!
ReplyDeleteकइयों को तो आपने आइना दिखा.....
अपनी टिप्पणियों के द्वारा...!
वर्तमान सामाजिक,राजनैतिक परिदृश्य;
ReplyDeleteपर धारदार प्रहार किया है आपने महोदय ,
सार्थक ,अन्य लिनक्स भी बढ़िया
साभार...........
लक्ष्य भेदन में दक्ष टिप्पड़ियाँ,बेहतरीन
ReplyDeleteवाह !
ReplyDeleteवाह !
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