Tuesday, 15 March 2016

इन सब से वे ठीक, बने जो आधे-पौने -

राम-भरोसे चल पड़े, फैलाने सुविचार । 
धर्म-विरोधी ले उठा, हाथों में हथियार ।

हाथों में हथियार, कर्म तो गजब-घिनौने । 
इन सब से वे ठीक, बने जो आधे-पौने । 

धर्म न्याय विज्ञान, भूमि भी इनको कोसे । 
दुनिया यह तूफ़ान, झेलती राम-भरोसे ॥ 

Sunday, 13 March 2016

घाट घाट घाटा घटा, घुट घुट घोटी लार।

गोटी दर गोटी पिटी, मिली हार पे हार।
घाट घाट घाटा घटा, घुट घुट घोटी लार।

घुट घुट घोटी लार, किया घाटे का सौदा। 
भूत रहा नाकाम, दाँव पर लगा घरौंदा।

सतत दुखद परिणाम, लगे है किस्मत खोटी। 
भागे रविकर भूत, बचा ना सका लंगोटी।।

Thursday, 3 March 2016

नहीं कह रहा मैं इसे-

नहीं कह रहा मैं इसे, कहता फौजी वीर |
अंदर के खंजर सहूँ , या सरहद के तीर ||

नहीं कह रहा मैं इसे, कह के गए बुजुर्ग |
जायज है सब युद्ध में, रखो सुरक्षित दुर्ग ||

नहीं कह रहा मैं इसे, कहें बड़े विद्वान |
लिए हथेली पर चलो, देश धर्म हित जान ||

नहीं कह रहा मैं इसे, कहते रहे कबीर |
क्या लाया क्या ले गया, यूँ ही मिटे शरीर ||

नहीं कह रहा मैं इसे, कह के गए वरिष्ठ |
हो अशिष्ट फिर भी सदा, करिये क्षमा कनिष्ठ ||

नहीं कह रहा मैं इसे, कहें सदा आचार्य |
बिना विचारे मत करो, रविकर कोई कार्य ||

नहीं कह रहा मैं इसे, कहे किसान मजूर |
राजनीति की रोटियां, सेंको नहीं हुजूर ||

नहीं कह रहा मैं इसे, कहे आपका छात्र |
विद्यालय में क्यों करूँ, आना जाना मात्र ||

नहीं कह रहा मैं इसे, कहता किन्तु समाज |
राजा फिर शादी करे, ताके फिर युवराज ||