Thursday, 3 March 2016

नहीं कह रहा मैं इसे-

नहीं कह रहा मैं इसे, कहता फौजी वीर |
अंदर के खंजर सहूँ , या सरहद के तीर ||

नहीं कह रहा मैं इसे, कह के गए बुजुर्ग |
जायज है सब युद्ध में, रखो सुरक्षित दुर्ग ||

नहीं कह रहा मैं इसे, कहें बड़े विद्वान |
लिए हथेली पर चलो, देश धर्म हित जान ||

नहीं कह रहा मैं इसे, कहते रहे कबीर |
क्या लाया क्या ले गया, यूँ ही मिटे शरीर ||

नहीं कह रहा मैं इसे, कह के गए वरिष्ठ |
हो अशिष्ट फिर भी सदा, करिये क्षमा कनिष्ठ ||

नहीं कह रहा मैं इसे, कहें सदा आचार्य |
बिना विचारे मत करो, रविकर कोई कार्य ||

नहीं कह रहा मैं इसे, कहे किसान मजूर |
राजनीति की रोटियां, सेंको नहीं हुजूर ||

नहीं कह रहा मैं इसे, कहे आपका छात्र |
विद्यालय में क्यों करूँ, आना जाना मात्र ||

नहीं कह रहा मैं इसे, कहता किन्तु समाज |
राजा फिर शादी करे, ताके फिर युवराज ||


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