Thursday, 9 November 2017
पर दूसरे की गलतियों पर रह सका वह मौन कब-
जब मैल कानों में भरा, आवाज देना व्यर्थ तब।
आवाज़ कब अपनी सुने, मन में भरा हो मैल जब।
करता नजर-अंदाज खुद की गलतियाँ रख पीठ पे-
पर दूसरे की गलतियों पर रह सका वह मौन कब।।
1 comment:
सुशील कुमार जोशी
30 November 2017 at 05:33
सुन्दर
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