Monday 15 January 2018

सारे भोंपू बेंच दे, यदि यह हिंदुस्तान-

मुल्क सुपर पावर बने, जनगणमन धनवान।
सारे भोंपू बेंच दे, यदि यह हिंदुस्तान।|

करे आत्महत्या कृषक, दे किस्मत को दोष।
असली दोषी मस्त क्यों, क्यों विपक्ष में रोष।।

रस्सी रिश्ते एक से, अधिक ऐंठ उलझाय।
हो जाये यदि ऐंठ कम, लड़ी-लड़ी खुल जाय ।।

रस्सी जैसी जिंदगी, तने तने हालात।
एक सिरे पे ख्वाहिशें, दूजे पे औकात।।

करतल ध्वनि हित जब भिड़े, दो दो हाथ अनेक।
अश्रु पोंछ दे तब वहाँ, केवल उंगली एक।

5 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (16-01-2018) को "सारे भोंपू बेंच दे, यदि यह हिंदुस्तान" (चर्चामंच 2850) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!

    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. दहशत है फैली

    दहशत है फैली हर शहर मोहल्ले मोहल्ले
    नफरत भरी गलियां देखो इन हुक्मरानों की
    .
    भाव चवन्नी के बिकती मजबूर काया यहाँ
    बेगेरत मरती आत्मा देखो सियासतदानों की
    .
    तिल तिल मरते कर्ज में डूबे अन्नदाता यहाँ
    सुखा है दूर तलक देखो हालत किसानों की
    .
    धर्म की बड़ी दीवार खड़ी है चारों और यहाँ
    जानवर निशब्द है औकात नहीं इन्सानों की

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