Thursday, 10 May 2018

मेरे गुरु जी : डॉ रूपचंद शास्त्री मयंक

ड्राफ्ट 
दोहा 
दुर्बल शाखा वृक्ष की, पर "गुरु-पर" पर नाज | 
कभी नहीं नीचे गिरे, उड़े खूब परवाज ||  

कुछ तो गुरु में ख़ास है, ईर्ष्या करते आम | 
वृक्ष देख फलदार वे, लेते पत्थर थाम ||

शब्द-शब्द में भाव का, समावेश उत्कृष्ट |
शिल्प देखते ही बने, हर रचना सारिष्ट ||

यूँ ही गुरुवर रचें , हितकारी साहित्य |
प्राणि-जगत को दे जगा, करे श्रेष्ठतम कृत्य |

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 कुण्डलियाँ 
अपने अंतरजाल पर, इक पीपल का पेड़ ।
तोता-मैना बाज से, पक्षी जाते छेड़ ।
पक्षी जाते छेड़, बाज न फुदकी आती ।
उल्लू कौआ हंस, पपीहा कोयल गाती ।
पल-पल पीपल प्राण-वायु नहिं देता थमने ।
पाले बकरी गाय, गधे भी नीचे अपने ।

करे खटीमा में सदा, पुण्य-धार्मिक कार्य |
साहित्यिक परिवार यह, करे सकल उपचार |

करे सकल उपचार, भौतिकी दैहिक दैविक |
रहे अनुग्रह नित्य, एक है सबका मालिक |

रहे सुखी-सम्पन्न, बाँध ना पाती सीमा |
रहे कर्मरत आप, याद नित करे खटीमा ||
क्रमशः 

4 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (12-05-2017) को "देश निर्माण और हमारी जिम्मेदारी" (चर्चा अंक-2968) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. क्या बात है। सुन्दर।

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  3. निमंत्रण

    विशेष : 'सोमवार' २१ मई २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच अपने साप्ताहिक सोमवारीय अंक के लेखक परिचय श्रृंखला में आपका परिचय आदरणीय गोपेश मोहन जैसवाल जी से करवाने जा रहा है। अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/



    टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।

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