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Friday, 1 July 2011

याद प्रिय आते रहो

याद प्रिय आते रहो कुछ इस तरह,
मन-समंदर में कि जैसे  ज्वार आये|

प्रत्येक दिन एक बार हौले से सही,
मास में पुरजोर प्रिय दो बार आये |

पूर्णिमा की चांदनी अथवा अमावस,
तार  के  बेतार   से   टंकार   आये |

सीपियों-शंखो की  भाषा में लिखे,
हृदय-तट पर प्यार फैले प्यार आये |

किरणे-उजाले - धूप-तारे - चांदनी,
की शिकायत तू मिटा दे  द्वार आये|

काम का बन्दा,  नकारा  हो चुका, 
शब्द-भावों पर जरा अधिकार आये |

जब कभी होगी प्रिये नजरे-इनायत,
और 'रविकर' शायरी में धार आये ||

Monday, 20 June 2011

खोया इक फालोवर मेरा, सुनो गुरूजी ||

खोया  इक फालोवर मेरा, सुनो गुरूजी |
खोया  इक  फालोवर मेरा, सुनो गुरूजी ||
खोया  इक  फालोवर मेरा, सुनो गुरूजी ||
चार चाँद का सुन्दर चंदा  
नजर लगाये  कोई गन्दा
कंगाली में आंटा गीला
ढूंढ़ के ला दो भूला-बन्दा
सुबह गई अब हुआ अँधेरा, सुनो गुरूजी |
खोया  इक  फालोवर मेरा, सुनो गुरूजी ||

Wednesday, 27 April 2011

गर हो इजाजत तेरी, इक बार छू के देखूं

18-11-1994 की वो पाती,  जो पाती तो -
हम जानते हैं 'रविकर', जिस चीज की जरूरत 
जो ढूंढ़ते हो आशिक - महबूब खूबसूरत !
                 न खूबसूरत हूँ मैं, गबरू-जवान इतना 
                 पर प्यार पूरा पाए, तू  चाहती है जितना 
तुझसे न कुछ भी चाहूँ , चाहूँ तो बात इतनी 
मीठी औ मद्धिम बोली, मधु में मिठास जितनी 
                 इक आँच  सी  लगे है, जो पास तेरे होता   
                 तू  साथ  मेरे  होती, सपने  रहूँ  पिरोता 
मस्ती तुम्हारी देखी तेरा बदन निहारा
ऐ जान जाने-जाना, दे दे तनिक सहारा 
                 तुझ  सा  न  मैंने  कोई,  है  खूबसूरत  देखा 
                 मलमल सी काया सुन्दर, हाथों की भाग्य-रेखा  
गर हो इजाजत तेरी, इक बार छू के देखूं 
इक बार छू के देखूं ,  दो  बार छू के देखूं