याद प्रिय आते रहो कुछ इस तरह,
मन-समंदर में कि जैसे ज्वार आये|
प्रत्येक दिन एक बार हौले से सही,
मास में पुरजोर प्रिय दो बार आये |
पूर्णिमा की चांदनी अथवा अमावस,
तार के बेतार से टंकार आये |
सीपियों-शंखो की भाषा में लिखे,
हृदय-तट पर प्यार फैले प्यार आये |
किरणे-उजाले - धूप-तारे - चांदनी,
की शिकायत तू मिटा दे द्वार आये|
काम का बन्दा, नकारा हो चुका,
शब्द-भावों पर जरा अधिकार आये |
जब कभी होगी प्रिये नजरे-इनायत,
और 'रविकर' शायरी में धार आये ||