Tuesday 12 November 2013

मुक्ति बोध की खूबियां, घोंघा सहे प्रकोप -

मुक्तिबोध की याद

शिरीष कुमार मौर्य 








मुक्ति बोध की खूबियां, घोंघा सहे प्रकोप |
नस्लभेद जब चरम पर, मानवता का लोप |

मानवता का लोप, घोंपते चले कटारी |
अवगुण अपने तोप, भांजते लाठी भारी |

नमन रचयिता श्रेष्ठ, बधाई लेख-शोध की |
है आभार शिरीष, खूबियां मुक्तिबोध की || 

'खीझ का रिश्ता'...(संस्मरण )

स्वप्न मञ्जूषा 

बड़ा मार्मिक दृश्य यह, अंतर गया कचोट |
चोट व्यवस्था पर लगे, धत दहेज़ का खोट |

धत दहेज़ का खोट, बाप बेटी हित हारे |
करे भिखारी भेंट, मुहल्ले अपने सारे |

यह दहेज़ का दैत्य, होय दिन प्रति दिन तगड़ा |
जाय लील सुख चैन, बड़ा फैलाये जबड़ा |


सोना सोना स्वप्न, हुई शामिल दिल्ली भी-


बिल्ली को चुहिया मिली, कभी हुई थी दफ्न |

शेखचिल्लियों की चली, सोना सोना स्वप्न |


सोना सोना स्वप्न, हुई शामिल दिल्ली भी |

राजनीति-विज्ञान, लपलपा जाती जीभी |


देखे सारा विश्व, उड़ाये रविकर खिल्ली |

भूली गीता मर्म, शेख-चिल्ली की बिल्ली ||


सट्टेबाजी में लगा, खलनायक रंजीत-


cbi निदेशक का विवादास्पद बयानसट्टेबाजी की तुलना रेप से की

सट्टेबाजी में लगा, खलनायक रंजीत |
कानूनी जामा पहन, मिटटी करे पलीत |

मिटटी करे पलीत, जबरदस्ती की आफत |
करिये फिर भी मौज, अगर दुष्कर्मी सोहबत |

है अकाट्य यह तर्क, आज तो चख दे फ़ट्टे |
मिटा दिया जब फर्क, लगाओ खुलकर सट्टे || 

कन्या का नामकरण : भगवती शांता : मर्यादा पुरुषोत्तम राम की सगी बहन

 सर्ग-२ 
भाग-3
कन्या का नामकरण 

जीव-जंतु जंगल नदी, सागर खेत पहाड़ |
बंदनीय हैं ये सकल, इनको नहीं उजाड़ ||

रक्षा इनकी जो करे, उसकी रक्षा होय |
शोषण गर मानव करे, जाए जल्द बिलोय ||

केवल क्रीडा के लिए, मत करिए आखेट |
भरता शाकाहार भी, मांसाहारी पेट ||

जीव जंतु वे धन्य जो, परहित धरे शरीर |
हैं निकृष्ट वे जानवर, खाएं उनको चीर ||


बेंगलुरु की सड़कों और पाक के टाक शो में मोदी

Virendra Kumar Sharma 





मोटा भाई छा रहा, बल चाचा के पेट |
होना नहीं शिकार है, बोरा चले समेट |

बोरा चले समेट, विदेशी बैंक छोड़ के  |
होना नहिं आखेट, नोट खुद रखूं मोड़ के |

जमा किया है माल, पड़ा यह बोरा छोटा |
डालर में बदलाय, रखूंगा मोटा मोटा ||


चला कटारी घोप, हिन्दु हूँ इत्तेफाक से-


Virendra Kumar Sharma 









 शिक्षा से क्रिश्चियन हूँ, रोप दिया यूरोप |
संस्कार से मुसलमाँ, चला कटारी घोप |

चला कटारी घोप, हिन्दु हूँ इत्तेफाक से |
इसीलिए तो कोप, डुबाता हूँ खटाक से |

राष्ट्रवाद बकवास, नीतियां ले भिक्षा से |
चरा दिया तो देश, विदेशी ऋण, शिक्षा से ||


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