Monday 25 November 2013

ले सबूत कुल खाय, बिगड़ता लेकिन कोठा-


शान्तिपूर्वक विश्राम करो हेमराज, और आरूषि तुम भी... और प्लीज, बंद करो अब यह कांव कांव फिर से...

प्रवीण 





कोठा पर टी आर पी, ज्यों कोठे पर देह |
बनते लाल दलाल तो, भरे तिजोरी गेह |

भरे तिजोरी गेह, नहीं मतलब शुचिता से |
चिता जले उस ओर, प्रश्न मत पूछ पिता से |

क़त्ल करे दुर्दांत, धार घटना की गोठा |
ले सबूत कुल खाय, बिगड़ता लेकिन कोठा ||

कोठा बिगड़ना=अपच होना /  

नित रविकर मनहूस, खाय धोखे पे धोखे-

धोखे देता जा रहा, कब से एक अनार |
सब्जबाग दिखला रहा, आम कई बीमार |

आम कई बीमार, बचे हैं ओस चाटकर |
ख़ास खा रहा खार, सदा अधिकार मारकर |

संसाधन ले चूस, प्रगति के सोते सोखे |
नित रविकर मनहूस, खाय धोखे पे धोखे ||

जमाली चाय दे स्वर्गिक आनंद का अहसास Best Herbal Tea

DR. ANWER JAMAL 









माली हालत देश की, होती जाय खराब |
आधी आबादी दुखी, आधी पिए शराब |

आधी पिए शराब, भुला दुःख अद्धा देता |
चारित्रिक अघ-पतन, गला अपनों का रेता |

रविकर कम्बल ओढ़, पिए नित घी की प्याली |
सुरा चाय पय छोड़, छोड़ता चाय जमाली || 
आज दुनिया के माँ -बाप शर्मसार हुए !
केवल दो इंसानों का कत्ल नहीं था ,इंसानी भरोसे का घिनौना क़त्ल था !
माँ -बाप से ज्यादा सुरक्षा तो भगवान के पास भी नहीं है !
बच्चो की गलतियों पर इतना हायपर नहीं होना चाहिए कि हम अपना आपा ही खो जाएँ और फिर ऎसी स्थिति आ जाए कि जो माँ -बाप के रिश्ते की हत्या हो जाये
आरूषि की हत्या के कसूरवार राजेश तलवार और नुपुर तलवार को आज कोर्ट ने मान लिया है , सजा कल सुनाई जायेगी !दोनों को कस्टडी में ले लिया गया है !
जो भी सबूत सामने आये ,उनके अनुसार ये दोनों दोषी नजर आ ही रहे थे !

बड़ी तेज तलवार है, बड़ा साधु वाचाल |
चालबाज चालाक ठग, ठोक रहे हैं ताल |

ठोक रहे हैं ताल, कहीं नूपुर सी जागृति |
जो भी हुआ अधीन, भोगता वो ही दुर्गति |

रविकर रहे सचेत, नहीं कर जाय हड़बड़ी |

पहचाने संकेत, होय फिर नहीं गड़बड़ी ||

कहानी- सवाल एक करोड़ का

savan kumar 






बेटा लगता दाँव पर, युद्ध-क्षेत्र में भीड़ |
अब नकार हुंकार या, तिनके तिनके नीड़ |

तिनके तिनके नीड़, चीर दे कई कलेजे |
यह तो टुकड़ा एक, करोड़ों कहाँ सहेजे | 

बिखर गए अरमान, कौन था उस दिन लेटा |
जब बिछ गई विसात, कौन फिर किसका बेटा ||



राजेश श्रीवास्तव 









 झिल्लू यादव को नमन, दे कसाब को रोक |
पहले कुर्सी फेंकता, फिर दे फायर झोंक |
फिर दे फायर झोंक, राष्ट्रपति पदक दिए थे |
साधुवाद हे वीर, बड़े उपकार किये थे |
तेरे जैसे शेर, मार देंगे ये पिल्लू |
खत्म होय आतंक, अगर होवे इक झिल्लू ||


धन्य धन्य है काव्य यह, पड़े विज्ञ कि दृष्ट |
साधुवाद कवियत्री, बने श्रेष्ठ यह सृष्ट ||


जो जमात लोकपाल के पक्ष के दखाई देता है , वही जमात अब तेजपाल के पक्ष में दिखाई दे रहा है ..

दिखायी दिए यूँ , मगर इस तरह कुछ ...

कितना अच्छा तुक मिला, लोकपाल के साथ |
तेज पाल के सर मगर, सदा रहा है हाथ |
सदा रहा है हाथ, कमंडल-मंडल दुश्मन |
काला कौआ आज, दिखाया लेकिन दर्पन |
तेज पाल का तेज, भाग  ले चाहे जितना |
है गोवा सरकार, छुपेगा आखिर कितना ||

4 comments:

  1. रविकर कम्बल ओढ़, पिए नित घी की प्याली |
    सुरा चाय पय छोड़, छोड़ता चाय जमाली ||

    Nice.

    Thanks for such nice lines.

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  2. बहुत बढ़िया मिली जुली, नरम-गरम प्रस्तुति ...आभार

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  3. हमेशा की तरह लाजवाब टिप्पणियां !

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