Thursday 28 November 2013

घटना से हैरान, अनोखे इसमें कारक -


विवाह एक 'घर' और 'परिवार' बनाता है जबकि लिव-इन केवल एक फौरी समझौता,जो कभी भी टूट सकता है !
फौरी समझौता सही, किन्तु सटीक उपाय |
सात जन्म के चक्र से, रक्षा भी हो जाय |

रक्षा भी हो जाय, नहीं क़ानूनी अड़चन |
छोड़-छाड़ हट जाय, अगर भर जाए तन-मन |

सोमवार व्रत छोड़, हुई कैलासी गौरी |
मची यहाँ भी होड़, शुरू समझौता फौरी ||

बच गई 'तलवार' की जान : दैनिक हिंदी मिलाप 29 नवम्‍बर 2013 अंक में संपादकीय पेज पर प्रकाशित

नुक्‍कड़ 




वार करे तलवार जब, सोच-विचार बगैर |
अपनों का काटे गला, तब उसकी नहिं खैर |

तब उसकी नहिं खैर, बैर जीवन से कर ले |
पाये देर-सवेर, मौत पर हर दिन मर ले |

घटना से हैरान, अनोखे इसमें कारक |
बने मसला फ़िल्म, कहाँ है कोई *वारक-

*निषेध करने वाला  

खुलासा : सोशल मीडिया का असली चेहरा !

महेन्द्र श्रीवास्तव 



(1) पैठ पठारे ले बना, लगा निहायत धूर्त |
नाजायज तरकीब से, करे समस्या पूर्त |

करे समस्या पूर्त, वायरस लाय तबाही |
यह काला व्यापार, चीज देता मनचाही |

साधुवाद हे मित्र, तथ्य रखते जो सारे |
काम करे कानून, ख़तम कर पैठ पठारे ||

(2)

बन्दा पैसा पाय के, रहा आत्मा बेंच |
रन्दा घोर चलाय के, ठोक रहा खुर-पेंच |

ठोक रहा खुर-पेंच, सुपारी-पान चबाता |
करता काम तमाम, सामने जो भी आता |

चमक उठा व्यवसाय, रहा जो पहले मन्दा |

देता चरित बनाय, करे अच्छा भी गन्दा ||

कार्टून :- अडवानी जी की सुनी आपने ?


छींके टूटे भाग्य से, टँगा यहाँ भी एक |
किन्तु नहीं टूटा कभी, छींके हुई अनेक |

छींके हुई अनेक, किन्तु उम्मीदें बाकी |
आने दो परिणाम, पिला देना तब साकी |

सड़े नहीं अंगूर, हुवे ना खट्टे फीके |
होवे पहले जीत, अभी ना कोई छीके || 


आखिर क्यों :आसान नहीं रहता है औरतों का कामानन्द प्राप्त होना

Virendra Kumar Sharma 

क्रीड़ा-हित आतुर दिखे, दिखे परस्पर नेह |
पहल पुरुष के हाथ में, सम्पूरक दो देह | 

सम्पूरक दो देह, मगर संदेह हमेशा |
होय तृप्त इत देह, व्यग्र उत रेशा रेशा |

भाग चला रणछोड़, बड़ी देकर के पीड़ा |
बनता कच्छप-यौन, करे न छप छप क्रीड़ा || 

डैडी के जन्मदिवस पर शुभकामना दोहावली

सरिता भाटिया 






प्यारा हीरक वर्ष यह, घर भर में उत्साह | 
ऐसे ही देते रहें, सादर हमें सलाह |

सादर हमें सलाह, राह दिखलाया हमको |

देते खुशियां बाँट, पिए हम सब के गम को |

रहें स्वस्थ सानंद, नेह की सरिता धारा |

रविकर करे प्रणाम, आपका अपना प्यारा ||


 

रहे हजारों वर्ष, सचिन पीपल सा दीखे-

(भावानुवाद )
दीखे पीपल पात सा, भारत रत्न महान |
त्याग-तपस्या ध्यान से, करे लोक कल्याण |

करे लोक कल्याण, निभाना हरदम होता |
विज्ञापन-व्यवसाय, मगर मर्यादा खोता |

थापित कर आदर्श, सकल जन गण मन सीखे |
रहे हजारों वर्ष, सचिन पीपल सा दीखे ||

सबूत होना जरूरी है ताबूत होने से पहले

सुशील कुमार जोशी 

छोटा है ताबूत यह, पर सबूत मजबूत |
धन सम्पदा अकूत पर, द्वार खड़ा यमदूत |

द्वार खड़ा यमदूत, नहीं बच पाये काया |
कुल जीवन के पाप, आज दुर्दिन ले आया |

होजा तू तैयार, कर्म कर के अति खोटा |
पापी किन्तु करोड़, बिचारा रविकर छोटा ||


खाये घर की दाल, मजे ले अक्सर रविकर-

करमहीन नर हैं सुखी, कर्मनिष्ठ दुःख पाय |
बैठ हाथ पर हाथ धर, खुद लेता खुजलाय |

खुद लेता खुजलाय, स्वयं पर रखें नियंत्रण |
दे कोई उकसाय, चले ठुकराय निमंत्रण |

टाले सकल बवाल, रहे मुर्गी से बचकर |
खाये घर की दाल, मजे ले अक्सर रविकर ||

6 comments:

  1. धन्‍यवाद रवि‍कर जी. आप तो रचना को और अधि‍क परि‍भाषि‍त कर देते हैं :-)

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  2. अच्छे लिंक्स
    मुझे भी स्थान देने के लिए आभार

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  3. सुन्दर भावांतरण परस्पर पोषक सहजीवन का

    फौरी समझौता सही, किन्तु सटीक उपाय |
    सात जन्म के चक्र से, रक्षा भी हो जाय |

    रक्षा भी हो जाय, नहीं क़ानूनी अड़चन |
    छोड़-छाड़ हट जाय, अगर भर जाए तन-मन |

    सोमवार व्रत छोड़, हुई कैलासी गौरी |
    मची यहाँ भी होड़, शुरू समझौता फौरी ||

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  4. वाह बहुत खूब सुंदर चर्चा !

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  5. इस सुंदर चर्चा में उल्लूक का ताबूत अपनी सुंदर टिप्प्णी से सजा कर देने के लिये आभार रविकर जी

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