Wednesday 4 December 2013

कामी संत मलंग, अंग से अंग लगाये-

महेन्द्र श्रीवास्तव 

सेना जब नारायणी, दुर्योधन के संग |
टिका रहे कुरुक्षेत्र में, कामी संत मलंग |

कामी संत मलंग, अंग से अंग लगाये |
किन्तु करे न जंग, व्यर्थ बहुरुपिया धाये |

गदा उठा ले भीम, कमर के नीचे देना |
भूल जाय दुष्कर्म, भक्त की चेते सेना ||


जज्बे को सलाम ! 



पी.सी.गोदियाल "परचेत" 



दारुण दिखता दृश्य यह, गायब दोनों हाथ |
पैरों पर स्याही लगे, सत्साहस है साथ |
सत्साहस है साथ, अनोखा वोटर आया |
करता चोखा काम, एक सन्देश सुनाया |
धन्य धन्य विकलांग, देह से दीखे भारु |
लेकिन हैं कुछ लोग, मांगते पहले दारू ||

आंसुओं के मोल

राजीव कुमार झा 







 लो स्वाभाविक रूप से, अपने हर्ष-विषाद |
खूब हँसे उन्मुक्तता, रो लो जब अवसाद |

रो लो जब अवसाद, अश्रु ये मूल्यवान हैं |
जी हल्का हो जाय, अश्रु औषधि समान हैं |

रविकर राजिव-नैन, नीर से कीचड़ धोलो |
यदि उदास बेचैन, मित्र जी भर कर रो लो ||










मरने की खातिर पुलिस, रोक सके के क़त्ल |
बनती नीति नितीश की, देखो सी एम् शक्ल |

देखो सी एम् शक्ल, हाथ पर हाथ धरे हैं-
हो हत्या अपहरण, नक्सली घात करे हैं |

नहीं रहा जूँ रेंग, हिलाया नहीं खबर ने |
सी एम् देते छोड़, पुलिस-पब्लिक को मरने ||  

बाला गर कश्मीर की, कर ले बाहर व्याह |
हक़ खोवे संपत्ति का, धारा बनी गवाह |

धारा बनी गवाह, तीन सौ सत्तर लगती |
अदालती आदेश, सुनंदा पुष्कर जगती |

चर्चा से इंकार, मचाये लोग बवाला |
तब मोदी के साथ, खड़ी कश्मीरी बाला ||   

सेना है नारायणी, साईँ करो क़ुबूल-

पेशी साईँ की इधर, फूल बिछाते फूल |
सेना है नारायणी, साईँ करो क़ुबूल |
साईँ करो क़ुबूल, किन्तु नहिं जुर्म कबूला |
झोंक आँख में धूल, सतत दक्षिणा वसूला |
बेशक नारा ढील, किन्तु फॉलोवर वेशी |
भागा लाखों मील, हुई दिल्ली में पेशी ||


3 comments:

  1. बेहतरीन उम्दा अभिव्यक्ति...!
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    Recent post -: वोट से पहले .

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  2. उम्दा चर्चा सुंदर टिप्पणियां !

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  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शुक्रवार (06-12-2013) को "विचारों की श्रंखला" (चर्चा मंचःअंक-1453)
    पर भी है!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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