Thursday, 12 December 2013

किन्तु केजरीवाल, विधायक क्षमता तोले-






आधा सच...   
महेन्द्र श्रीवास्तव 

खरी खरी रख तथ्य कुल, करें व्याख्या आप |
दिल्ली में जब आपका, पसरा प्रबल प्रताप |

पसरा प्रबल प्रताप. परख बड़बोले बोले |
किन्तु केजरीवाल, विधायक क्षमता तोले |

पचा सके ना जीत, जीत से मची खरभरी |
लफुआ अनुभवहीन, चेंगडे करें मसखरी ||



नकारात्मक गुण छिपा, ले ईमान की आड़ । 
व्यवहारिकता की कमी, दुविधा रही बिगाड़ । 

दुविधा रही बिगाड़,  तर्क-अभिव्यक्ति जरुरी । 
आपेक्षा अब आप, करो दिल्ली की पूरी । 

पानी बिजली सहित, प्रशासन स्वच्छ सकारा । 
वायदे करिये पूर, अन्यथा कहूं नकारा ॥ 


कारें चलती देश में, भर डीजल-ईमान |
अट्ठाइस गण साथ में, नहिं व्यवहारिक ज्ञान |

नहिं व्यवहारिक ज्ञान, मन्त्र ना तंत्र तार्किक |
*स्नेहक पुर्जे बीच, नहीं ^शीतांबु हार्दिक |
*लुब्रिकेंट  ^ कूलेंट 

गया पाय लाइसेंस, एक पंजे के मारे |
तो स्टीयरिंग थाम, चला दिखला सर-कारें ||


द्विलिंगी गुट *गेगले, गन्दी करते औनि-


क्या इनमें कोई भी सेलेब्रिटी है ??? ... डा श्याम गुप्त ....







केंचुल कामी का चुवे, धरे केंचुवा यौनि |
द्विलिंगी गुट *गेगले, गन्दी करते औनि |

गन्दी करते औनि, बनाये तन मन रोगी |
पशुचर्या पशु-काम, हुवे हैं पशुवत भोगी |

सरेआम व्यवहार, गेंगटे रविकर गेंदुल |
रख उरोज, पर, दन्त, गेगले छोड़ें केंचुल ||
गेगले=*मूर्ख 
गेंदुल=चमगादड़ 
गेंगटे=केकड़े 

समलैंगिकता और समलैंगिक सम्बन्ध क़ानून का विषय न होकर हमारी सामाजिकता ,नीति शाश्त्र और धर्म सम्मत आचरण से जुड़े विषय हैं

Virendra Kumar Sharma
कुक्कुर के पीछे लगा, कुक्कुर कहाँ दिखाय |
कुतिया भी देखी नहीं, कुतिया के मन भाय |

कुतिया के मन भाय, नहीं पाठा को देखा |
पढ़ते उलटा पाठ, बदल कुदरत का लेखा |

पशु से ही कुछ सीख, पाय के विद्या वक्कुर |
गुप्त कर्म रख गुप्त, अन्यथा सीखें कुक्कुर ||

क्या करे कोई गालिब खयाल वो नहीं हैं अब

सुशील कुमार जोशी 

ठुमरी पर ठुमके लगा, ख्याली पके पुलाव |
राम राज्य आने लगा, बस इक और चुनाव |

बस इक और चुनाव, मुसल्लसल बस इमान है |
बे-इमान यह जगत, आप की बढ़ी शान है |

पानी बिजली मुफ्त, मुफ्त में कुरता चुनरी |
मुफ्त मिले आवास, मुफ्त में सुनिये ठुमरी |||


"आप" के पाप

ZEAL 
यह तो पक्की बात है, ले मुस्लिम का साथ । 
खा जाएगा हाथ को, फिर पकडे वह पाथ । 

फिर पकडे वह पाथ, रास्ता वह कम्युनिस्टी । 
मुस्लिम तुष्टिकरण, हिन्दु  प्रति टेढ़ी दृष्टी । 

खतरनाक यह व्यक्ति, हमें तो लगता बक्की । 
बना ढपोरी-शंख, बात है यह तो पक्की ॥  


3 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शनिवार (14-12-13) को "वो एक नाम" (चर्चा मंच : अंक-1461) पर भी है!
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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