प्यार बढ़े मदहोश हों,  बेशक  औरत मर्द |
मदद दूसरा क्यों करे, बढ़ जाए जब दर्द ??
मदद दूसरा क्यों करे, बढ़ जाए जब दर्द ??
पंखो  को  फैला उड़ा , मिला   खुला  आकाश  |
जीवन-नौका  से  करूँ, खुद की खुदी तलाश ||
सब्जी फल खुब खाइए, सदा दोपहर शाम |
ठीक हाजमा रहेगा, सुबह-सुबह आराम ||
पैदल  चलने से  सरल,  नहीं है कोई योग |
सेहत की सेहत सही,  बने बचत का जोग ||
भोजन के दरम्यान तू, पानी पीना स्वल्प |
घरी बाद पी प्रेम से,  काया काया-कल्प ||
छोरे के सम्मुख सदा, रहो धीर गंभीर |
अगर छिछोरापन किया, छोरा देगा पीर ||
कुंडली 
आज धृष्टता-दुष्टता, करती जय-जयकार |
खच्चर बनके शिष्टता, डूब रही मझधार |
डूब रही मझधार, दुष्ट-जन हुए दिविष्ठी |
लक्षण दिखे अरिष्ट, छीन कर खाए मिष्टी |  
रविकर कुंठा ग्रसित, जीतती यहाँ भ्रष्टता |
रविकर कुंठा ग्रसित, जीतती यहाँ भ्रष्टता |
 शिष्टता हुई कमजोर, बलवती आज धृष्टता || 
अरिष्ट लक्षण-मृत्य के लक्षण 
दिविष्ठ - स्वर्ग में रहने वाला 
 
 
