बुड्ढा होय अशक्त, आत्मा भटका हाथी-
 घोंघे करते मस्तियाँ, मीन चुकाती दाम ।
  
कमल-कुमुदनी से पटा, पानी पानी काम । 
पानी पानी काम, केलि कर काई कीचड़ । 
रहे नोचते *पाम, काइयाँ  पापी लीचड़ । 
भौरों की बारात, पतंगे जलते मोघे  ।।  
श्रेष्ठ विदेही पात, नहीं बन जाते घोंघे ।  
*किनारी की छोर पर लगी गोटी  
 | 
 
| 
 
ZEAL  
नर मादा नर्मदा हुई, मर जादा मर्याद । जैसा लिखता है सचिव, वैसा करती याद । वैसा करती याद, इलाज करवा कर आई । अब चुनाव के बाद, पुन: जाएगी माई । किन्तु अलग उद्देश्य, निभाई खुदरा वादा । लेगी टैक्स वसूल, पूज कर के नर-मादा ।  | 
 
| 
 
 काव्य मंजूषा 
कुत्ता यह खुजरैल है, है आश्विन का मास । ऐसे जीवों से हुआ, कल्चर सत्यानाश । कल्चर सत्यानाश, ताश का है यह छक्का । ढूँढे बेगम हुकुम, धूर्त है बेहद पक्का । बाढ़ी है तादाद, बाढ़ते कुक्कुरमुत्ता । बधिया कर दो राम, नस्ल रोको यह कुत्ता ।।  | 
 
...आंसू आ गए होंगे
रश्मि  
  यूँ ही जाते लड़खड़ा, कदम चले जो दूर । कहते क्यूँ यह हड़बड़ा, आखिर क्यूँ मजबूर । आखिर क्यूँ मजबूर, हकीकत तुम भी जानो । गम उसको भरपूर, बात मानो ना मानो । कैसे सहे विछोह, आत्मा यह निर्मोही । समझ हृदय की पीर, करो ना बातें यूँ ही ।।  | 
 
ओह!! तो ये बात है!??  
कोयल मंत्री का मिले, अब इनको पदभार । 
बड़े घुटाले हैं किये, इन पर ही एतबार । 
इन पर ही एतबार, नया नव दिन ही रहता । 
भूल गए यह बात,  पुराना सब दिन कहता । 
लेकिन मंत्री तेज, कोयला दूधे धोयल । 
बीबी मइके  भेज, ढूँढ़ता नइकी  कोयल ।। 
 | 
 
मनु बिटिया : जन्म-दिवस की शुभकामनायें-आश्विन की तिथि पञ्चमी, रहा नवासी वर्ष, 
बहन शिवा की आ गई,  हर्ष  चरम  उत्कर्ष  | 
हर्ष  चरम  उत्कर्ष, शीघ्र  ही  लगी  डोलने, 
ताला - चाभी  फर्श,  पेटिका  लगी खोलने | 
कह रविकर हरसाय, ख़ुशी से बीते हरदिन, 
माता की नवरात, मास फलदायक आश्विन || | 
 
 
 
बहुत सुन्दर बढ़िया लिक्स..
ReplyDeletegreat selection!
ReplyDeleterochak links.........
ReplyDeleteवाह ... बेहतरीन
ReplyDeleteबहुत बढ़िया!
ReplyDeleteअब तो इन कुण्डलियों का संग्रह छपवा ही लीजिए!