Monday 15 October 2012

यादों की यह ओढ़नी, ओढ़ रहूँ दिनरात-


मलाला के जज्बे को सलाम! 

उगती जब नागफनी दिल में, मरुभूमि बबूल समूल सँभाला ।

बरसों बरसात नहीं पहुँची, धरती जलती अति दाहक ज्वाला ।

उठती जब गर्म हवा तल से, दस मंजिल हो भरमात कराला ।

पढ़ती तलिबान प्रशासन में, डरती लड़की नहिं वीर मलाला ।।


Untitled

सुरेश शर्मा . कार्टूनिस्ट  

रसिया छैला हैं भरे, आस पास सरदार |
घोटालों को टालते, सबमें तीखी धार |
सबमें तीखी धार, स्वत: ठंढे हो जाते |
इक के ऊपर एक, विपक्षी ही घबराते |
फुस फुस होंय अनार, चैन से हैं कन्ग्रसिया |
जी जीजा कोयला, हमारी सलमा रसिया ||

सादा जीवन संत का, सूफी संत महान ।
मूल रूप से चिश्तिया, भारत को वरदान ।
भारत को वरदान, शान्तिमय भाईचारा ।
ऊपरवाला नेक, वही जीवन आधारा ।
रविकर करे प्रणाम, करे हर मानव वादा ।
माने सह अस्तित्व, बिताये जीवन सादा ।।

यादों की ओढ़नी,,,

Dheerendra singh Bhadauriya 
यादों की यह ओढ़नी, ओढ़ रहूँ दिनरात |
उमड़-घुमड़ दृष्टान्त हर, रह रह आवत जात |
रह रह आवत जात, बाराती द्वारे आये |
पर बाबू का हाथ, छूट नहिं सके छुडाये |
माँ की झिड़की प्यार, बरसता सावन भादों |
भैया से तकरार, शेष बचपन की यादों ||


बबुआ हो ले बीस का, दूँ मंगल आशीश ।
दुनिया में हरदम रहे, तू सबसे इक्कीस ।
तू सबसे इक्कीस, होय हर चाहत पूरी ।
स्वास्थ्य आयु बल बुद्धि, मिले सब चीज जरुरी ।
रविकर का आशीष, बुआ की दुआ कुबूले ।
सदा यशस्वी होय, बीस का बबुआ हो ले ।।


सन्डे की साफ-सफाई.


साफ़ सफाई में लगा सारा कुनबा मित्र |
बेगम बागम खींचती, ढेर पुराने चित्र |
ढेर पुराने चित्र , ऊंट अब आया नीचे |
वो पहाड़ सा ठाड़, डालता यहाँ किरीचें |
नजरों में सैफई, मुलायम सहित खुदाई |
मोहन  इसको रोक, करे जो साफ़ सफाई ||   |

राम दीन को कर रहे, खड़ा यहाँ सलमान । दीन हीन है देखिये, खतरे में ईमान ।


असली यही दबंग है, है असली बलवान |
ये ही तो बिग बॉस है, वो नकली सलमान |
वो नकली सलमान, मान ले केजरिवाला |
यही *जीर जंजीर,  अपाहिज बुद्धि वाला |
कोयल का कोयला, तोड़ता हड्डी पसली |
बड़का नाटकबाज, यही है बन्दा असली ||

*तलवार / शत्रु को हानि पहुँचाने वाला |

कागा यह बदमाश है, उड़ा नौलखा हार ।

Virendra Kumar Sharma 

राम दीन को कर रहे, खड़ा यहाँ सलमान ।
दीन हीन है देखिये, खतरे में ईमान ।
खतरे में ईमान, पाँच सौ का इक पत्ता ।
बुलवा लो सौ झूठ, तुम्हीं हो मंत्री सत्ता ।
केजरि दिया जवाब, देखिये उधर सीन को ।
 मंत्री का-का-नून, खिलाया राम दीन को ।।


8 comments:

  1. राम दीन को कर रहे, खड़ा यहाँ सलमान ।

    दीन हीन है देखिये, खतरे में ईमान ।

    खतरे में ईमान, पाँच सौ का इक पत्ता ।

    बुलवा लो सौ झूठ, तुम्हीं हो मंत्री सत्ता ।

    केजरि दिया जवाब, देखिये उधर सीन को ।

    मंत्री का-का-नून, खिलाया राम दीन को ।।

    बहुत खूब सर !अभी तो कोयलों में काग बहुत बाकी हैं ,अभी कुछ और करो ,रवि कुछ और करो

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  2. अब समझ आया है इस मुहावरे का मतलब "खुला खेल फर्रुखाबादी "जो विकलांगों के नाम पे ली गई ग्रांट भी खा जाए और ऊपर से गुर्र गुर्र गुर्राए वो खेले खेल फर्रुखाबादी .71 लाख तो कागज़ पे है ज़नाब .

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  3. फिर भ्रष्टों की सरकार भजमन हरी हरी ,

    ये कागा सब कुछ खाय भजमन हरी हरी .

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  4. मुद्दत के बाद खिली है धूप प्यार की,
    कि धूप ने ओढ़ ली,छाँव की ओढ़नी|

    इन खामोश नजरों को है इन्तजार तेरा,
    कि अश्को ने ओढ़ ली पलकों की ओढ़नी|........अश्कों .......

    मौसम की तरह बदला मेरा मिजाज क्यों,
    कि दिल ने ओढ़ ली है मौसम की ओढ़नी|

    हमने चाहा भूलना तुझको हर हाल में,
    कि मन ने ओढ़ ली यादों की ओढ़नी|

    बहुत सुन्दर प्रस्तुति है .बधाई .

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  5. हमेशा की तरह लाजवाब !

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  6. बहुत सुन्दर प्रस्तुति है .बधाई .

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  7. रसिया छैला हैं भरे, आस पास सरदार |
    घोटालों को टालते, सबमें तीखी धार |
    सबमें तीखी धार, स्वत: ठंढे हो जाते |
    इक के ऊपर एक, विपक्षी ही घबराते |
    फुस फुस होंय अनार, चैन से हैं कन्ग्रसिया |
    जी जीजा कोयला, हमारी सलमा रसिया ||

    बढ़िया तंज भाई साहब .
    ram ram bhai
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    सोमवार, 15 अक्तूबर 2012
    भ्रष्टों की सरकार भजमन हरी हरी ., भली करें करतार भजमन हरी हरी .http://veerubhai1947.blogspot.com/

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  8. आपने मेरे पोस्ट पर काव्यमय लाजबाब टिप्पणी देने के लिये बहुत२ आभार,,,,,रविकर जी,,,,

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