Sunday 18 November 2012

हिन्दू पाकिस्तान में, झेल रहे हैं दंश -रविकर




 शुक्रवार, 16 नवंबर, 2012 को 18:44 IST तक के समाचार
खिम्मी भील
खिम्मी भील और उनके साथ आये अन्य हिंदू किसी कीमत पार पाकिस्तान वापस जाने के लिए तैयार नहीं
खिम्मी भील ने तीन महीने पहले पाकिस्तान से आते वक़्त वचन दिया था कि वो तीर्थ यात्रा पूरी कर के वापस लौटेंगी लेकिन अब वह भारत में ही रहेगी.
राजस्थान की सरकार ने पाकिस्तान से आए 285 पाकिस्तानी हिंदुओं को लंबी अवधि का वीजा देने की सिफ़ारिश की है. अगर उन्हें वीजा मिल गया तो ये हिंदू बेरोक-टोक सात सालों तक भारत में रह सकते हैं और उसके बाद नागरिकता के लिए आवेदन दे सकते हैं.

हिन्दू पाकिस्तान में, झेल रहे हैं दंश ।
यहाँ मौज में जी रहे, उन के मामा वंश ।

उन के मामा वंश, बना शरणार्थी चाहे ।
यह भारत सरकार, असंभव टैक्स उगाहे ।

दो अनुमति अविलम्ब, शीघ्र निपटा यह बिन्दू ।
माँ की पावन गोद, छोड़ क्यूँ जाए हिन्दू ।।


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रोता रातों में रहा,  हरदम पाकिस्तान |
बँटवारे की विभीषिका, आज हो रहा भान |
आज हो रहा भान, बघारे दिन में शेखी |
कहीं बुरे दिन और, यहाँ की पब्लिक देखी |
भाईचारा अमन, धर्म समभाव विलोता |
निश्चय ऐसा देश, अल्पजीवी हो रोता ||


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टीवी न्यूज : निकालते रहो टमाटर से हनुमान !

महेन्द्र श्रीवास्तव 

अन्धा व्यवसायीकरण, हंगामे का दौर |
दुनिया जाये भाड़ में, सिर्फ कमाई गौर |

 

सिर्फ कमाई गौर, मूल्य का  हो अवमूल्यन |
पत्रकारिता पीत, दीखता है हल्का पन |


रविकर का अनुरोध, बना मत इसको धंधा |
लगे वेश्या-वृत्ति, रास्ता आगे अंधा ||


आज कीबोर्ड के खटरागी, शब्‍दों के खिलाड़ी अविनाश वाचस्‍पति फेसबुक के मुन्‍नाभाई की 28वीं वैवाहिक वर्षगांठ हैं

संतोष त्रिवेदी 

रागी खटरागी बड़े, करें सदा ही व्यंग ।
भैया-भाभी का रहे, सदा अमित यह संग ।
सदा अमित यह संग, स्वस्थ मन रहें निरोगी ।
 हास्य-कटाक्ष सह व्यंग, स्वयं से हरदम होगी ।
शुभकामना असीम, प्रीति खट-ख़ट से लागी ।
करते टाइप रहो, प्रेम से रागी-खटरागी ।।  
  



अवसान के बाद का मूल्यांकन !

संतोष त्रिवेदी 
कुछ कहना नहीं चाहता था इस विषय पर-
पर मित्र  के लेख ने मनोभावों को प्रकट करने का मौका दिया -आभार वैसवारी ||


जहाँ मराठी अस्मिता,  मारी हिंदु हजार |
हिंदु-हृदय सम्राट पर,  कौन करे एतबार |
कौन करे एतबार, कई उत्तर के वासी |
होते वहाँ शिकार, होय हमला वध फांसी |
दोहन भय का दिखा, नहीं है कोई शंका |
कृष्णा उद्धव राज, खौफ का बाजे डंका ||


ख्‍यालों की भीड़ में !!!

सदा 
 SADA  
समझौते की जिंदगी, अस्त व्यस्त शत-ख्याल |
इक अलबेला ख्याल ले, चलती आज सँभाल ||
 

हिन्‍दी के सर्वश्रेष्‍ठ ब्‍लॉग: जिन पर हिन्दी ब्लॉग जगत की गुणवत्ता टिकी है ?


लेखक मिलते गद्य में, वे हक़ पहला पाँय |
पद्य ब्लॉग की विवशता, मन ही मन अकुलांय |
मन ही मन अकुलांय, नजर अंदाज करे क्यों |
मन में था यह प्रश्न, मगर हम यहाँ करें क्यों |
करते अपना काम, आकलन है इनका हक़ |
करें पूर्ण साहित्य, कवि आलोचक लेखक || 




क्योंकि तू सच बोलता है.

  (पुरुषोत्तम पाण्डेय)
जाले
चाक चला जिभ्या चली, हो मुखिया की मौत |
बेटा मुखिया बनेगा, पोता फिर पर पौत |
पोता फिर पर पौत, रीति है  बनी यहाँ की |
तू बैठा मत सोच, लगाता बुद्धि कहाँ की |
चले उन्हीं का जोर, हाथ में लाठी जिनके |
 सत्य तुम्हारा व्यर्थ, दिया रख अपने गिनके ||


ज़िंदगी के रंग ....

Pallavi saxena 
 बेटे की चाहत रखें, ऐ नादाँ इंसान ।
अधिक जरुरी है कहीं, स्वस्थ रहे संतान ।
स्वस्थ रहे संतान, छोड़ यह अंतर करना ।
दे बेटी को मान, तुझे धिक्कारूं वरना ।
बेटा बेटी भेद, घूमता कहाँ लपेटे ।
स्वस्थ विवेकी सभ्य , चाहिए बेटी बेटे ।।

कराती है दिवाली यह पुरानी याद को ताजा |
खिला घर बार रोशी का, पटाखों का सुना बाजा |
रँगोली है उजाला है जले हैं दीप सब छाजा |
नहीं आये जिन्हें आना, घनी सी याद तू आजा ||



9 comments:


  1. दो अनुमति अविलम्ब, शीघ्र निपटा यह बिन्दू ।
    माँ की पावन गोद, छोड़ क्यूँ जाए हिन्दू ।।

    आपकी सदा सहयता इन पंक्तियों में देखते ही बनती है .

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  2. वाह ... बहुत ही अच्‍छे लिंक्‍स एवं प्रस्‍तुति

    आभार आपका

    सादर

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  3. आपकी इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार 20/11/12 को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका स्वागत है

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  4. वाह सर वाह जय हो आपकी हर बार कुछ नया, नया - नया एकदम नया हरदम नया सबकुछ नया।

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  5. रविकर जी बढ़िया लिंक...

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  6. बढियां लिंक्स ।

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