Sunday, 11 November 2012

देह देहरी देहरे, दो, दो दिया जलाय-रविकर




Ganesh

 शुभकामनायें 

दीपावली 2012

Lakshmi


त्योहारों की टाइमिंग, हतप्रभ हुआ विदेश ।
चौमासा बीता नहीं, आ जाता सन्देश ।
आ जाता सन्देश, घरों की रंग-पुताई ।
सजे नगर पथ ग्राम, नई दुल्हन की नाई ।
सब में नव उत्साह, दिशाएँ हर्षित चारों ।
लम्बी यह श्रृंखला, करूँ स्वागत त्योहारों ।।
Deepvali1126
बीत गया भीगा चौमासा । उर्वर धरती बढती आशा ।
त्योहारों का मौसम आये।  सेठ अशर्फी लाल भुलाए ।
विघ्नविनाशक गणपति देवा। लडुवन का कर रहे कलेवा
माँ दुर्गे नवरात्रि आये । धूम धाम से देश मनाये ।
 
विजया बीती करवा आया । पत्नी भूखी गिफ्ट थमाया ।
जमा जुआड़ी चौसर ताशा । फेंके पाशा बदली भाषा ।।

दीवाली का अर्थ है, अर्थजात का पर्व |
अर्थकृच्छ कैसे करे, दीवाले पे गर्व  ||
अर्थजात = अमीर 
अर्थकृच्छ =गरीब

एकादशी रमा की आई ।  वीणा बाग़-द्वादशी गाई ।
धनतेरस को धातु खरीदें । नई नई जागी उम्मीदें ।
धन्वन्तरि की जय जय बोले ।  तन मन बुद्धि निरोगी होले ।
काली माता खप्पर वाली । लक्ष्मी पूजा  मने दिवाली ।।


झालर दीपक बल्ब लगाते । फोड़ें बम फुलझड़ी चलाते ।
खाते कुल पकवान खिलाते । एक साथ सब मिलें मनाते ।
लाल अशर्फी फड़ पर बैठी | रहती लेकिन किस्मत ऐंठी ।
 फिर आया जमघंट बीतता | बर्बादी ही जुआ जीतता ।।


लाल अशर्फी होती काली | कौड़ी कौड़ी हुई दिवाली ।
 भ्रात द्वितीया बहना करती | सकल बलाएँ पीड़ा हरती ।
चित्रगुप्त की पूजा देखा । प्रस्तुत हो घाटे का लेखा ।
सूर्य देवता की अब बारी।  छठ पूजा की हो तैयारी ।।

 

देह देहरी देहरे,  दो, दो दिया जलाय ।
कर उजेर मन गर्भ-गृह, कुल अघ-तम दहकाय । 
कुल अघ तम दहकाय , दीप दस घूर नरदहा ।
गली द्वार पिछवाड़ , खेत खलिहान लहलहा ।
देवि लक्षि आगमन, विराजो सदा केहरी ।
सुख सामृद्ध सौहार्द, बसे कुल देह देहरी ।।

 देह, देहरी, देहरे = काया, द्वार, देवालय 
घूर = कूड़ा 
लक्षि  = लक्ष्मी 
    डेंगू-डेंगा सम जमा, तरह तरह के कीट |
    खूब पटाखे दागिए, मार विषाणु घसीट |
    मार विषाणु घसीट, एक दिन का यह उपक्रम |
    मना एकश: पर्व, दिखा दे दुर्दम दम-ख़म |
    लौ में लोलुप-लोप, धुँआ कल्याण करेगा |
    सह बारूदी गंध, मिटा दे डेंगू-डेंगा ||

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किरीट  सवैया ( S I I  X  8 )
झल्कत झालर झंकृत झालर झांझ सुहावन रौ  घर-बाहर ।

  दीप बले बहु बल्ब जले तब आतिशबाजि चलाय भयंकर ।

 दाग रहे खलु भाग रहे विष-कीट पतंग जले घनचक्कर ।

नाच रहे खुश बाल धमाल करे मनु तांडव  हे शिव-शंकर ।।


कुण्डलियाँ-2
32 x 365 दिन =11680/-
बत्तीसा जोडूं अगर, ग्यारह नोट हजार ।
इक पल में वे फूंकते, पर हम तो लाचार ।
पर हम तो लाचार, चार लोगों का खाना ।
मँहगाई की मार, कठिन है दिया जलाना ।
केरोसिन अनुदान, जमाया रत्ती रत्ती ।
इक के बदले चार, बाल-कर रक्खूँ बत्ती ।।


 एक लगाता दांव पर, नव रईस अवतार ।
रोज दिवाली ले मना, करके गुने हजार ।।


लगा टके पर टकटकी, लूँ चमचे में तेल ।
माड़-भात में दूँ चुवा, करती जीभ कुलेल ।
करती जीभ कुलेल, वहाँ चमचे का पावर ।
मिले टके में कुँआ, खनिज मोबाइल टावर ।
दीवाली में सजा, सितारे दे बंगले पर ।
भोगे रविकर सजा, लगी टकटकी टके पर ।।


 दोहे 
दे कुटीर उद्योग फिर, ग्रामीणों को काम ।
चाक चकाचक चटुक चल, स्वालंबन पैगाम ।।

हर्षित होता अत्यधिक,  कुटिया में जब दीप ।
विषम परिस्थिति में पढ़े, बच्चे बैठ समीप ।।

माटी की इस देह से, खाटी खुश्बू पाय ।
तन मन दिल चैतन्य हो, प्राकृत जग  हरषाय ।।

बाता-बाती मनुज की, बाँट-बूँट में व्यस्त ।
बाती बँटते नहिं दिखे, अपने में ही मस्त ।।

अँधियारा अतिशय बढ़े , मन में नहीं उजास ।
भीड़-भाड़ से भगे तब, गाँव करे परिहास ।।

 रो ले ऐ अन्धेर तू, ख़त्म आज साम्राज्य ।
 प्रेम नेम से बट रहा, घृणा द्वेष
अघ त्याज्य ।
 घृणा द्वेष अघ त्याज्य, अमावस यह अति पावन ।
स्वागत है श्री राम, आइये पाप नशावन ।

धूम आज सर्वत्र, यहाँ भी देवी  हो ले  ।

सुख सामृद्ध सौहार्द, दान दे पढ़कर रोले ।

दीवाली में जुआ  
मीत समीप दिखाय रहे कुछ दूर खड़े समझावत हैं ।
बूझ सकूँ नहिं सैन सखे  तब हाथ गहे लइ जावत हैं ।
जाग रहे कुल रात सबै, हठ चौसर में फंसवावत  हैं ।
हार गया घरबार सभी, फिर भी शठ मीत कहावत हैं ।।


 डोरे डाले आज फिर, किन्तु जुआरी जात ।
गृह लक्ष्मी करती जतन, पर खाती नित मात ।
पर खाती नित मात, पूजती लक्षि-गणेशा ।
पांच मिनट की बोल, निकलता दुष्ट हमेशा  ।
 खेले सारी रात, लौटता बुद्धू भोरे ।
 जेब तंग, तन ढील,  आँख में रक्तिम डोरे ।।

16 comments:


  1. त्योहारों की टाइमिंग, हतप्रभ हुआ विदेश ।
    चौमासा बीता नहीं, आ जाता सन्देश ।
    आ जाता सन्देश, घरों की रंग-पुताई ।
    सजे नगर पथ ग्राम, नई दुल्हन की नाई ।
    सब में नव उत्साह, दिशाएँ हर्षित चारों ।
    लम्बी यह श्रृंखला, करूँ स्वागत त्योहारों ।

    मौजू ,प्रासंगिक रचना पञ्च उत्सवों को अनुस्थापित करती

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  2. दीवाली में जुआ
    मीत समीप दिखाय रहे कुछ दूर खड़े समझावत हैं ।
    बूझ सकूँ नहिं सैन सखे तब हाथ गहे लइ जावत हैं ।
    जाग रहे कुल रात सबै, हठ चौसर में फंसवावत हैं ।
    हार गया घरबार सभी, फिर भी शठ मीत कहावत हैं ।।


    डोरे डाले आज फिर, किन्तु जुआरी जात ।
    गृह लक्ष्मी करती जतन, पर खाती नित मात ।
    पर खाती नित मात, पूजती लक्षि-गणेशा ।
    पांच मिनट की बोल, निकलता दुष्ट हमेशा ।
    खेले सारी रात, लौटता बुद्धू भोरे ।
    जेब तंग, तन ढील, आँख में रक्तिम डोरे ।।
    द्युत क्रीड़ा,जूए की लत को ,एक पत्नी की वेदना को आधुनिक पैरहन में प्रस्तुत करती है यह पोस्ट .मार्मिक और प्रासंगिक यह दिवाली का अंधेर कौना है द्युत क्रीड़ा ,दारु और भाड़ू(दल्ला ).


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  3. लगा टके पर टकटकी, लूँ चमचे में तेल ।
    माड़-भात में दूँ चुवा, करती जीभ कुलेल ।
    करती जीभ कुलेल, वहाँ चमचे का पावर ।
    मिले टके में कुँआ, खनिज मोबाइल टावर ।
    दीवाली में सजा, सितारे दे बंगले पर ।
    भोगे रविकर सजा, लगी टकटकी टके पर ।।

    नोंच लिया अम्बानी को, भाई खोंच लिया अम्बानी को ,सोनिया जी की नानी को .

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  4. वाह कुछ शब्दो के अर्थ पता चले और 11680 में खर्चा कैसे चले
    दीपावली की शुभकामनायें

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  5. दीप पर्व की परिवारजनों एवं मित्रों संग हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं.

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  6. बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति

    !! प्रकाश पर्व की आपको अनंत शुभकामनाएं !!

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  7. दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये आपको और आपके समस्त पारिवारिक जनो को !

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  8. बेह्तरीन अभिव्यक्ति . मधुर भाव लिये भावुक करती रचना,,,,,,
    बहुत अद्भुत अहसास...सुन्दर प्रस्तुति
    प्रकाश पर्व की आपको अनंत शुभकामनाएं !!

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  9. दीपक की रौशनी, मिठाईयों की मिठास,
    पटाखों की बौछार, धन की बरसात
    हर पल हर दिन आपके लिए लाए दीपावली का त्यौहार.

    मेरी तरफ से आपको और आपके परिवार और सभी ब्लॉग पाठकों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये.

    From:- Takniki Gyan"

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  10. सुन्दर प्रस्तुति!
    --
    दीवाली का पर्व है, सबको बाँटों प्यार।
    आतिशबाजी का नहीं, ये पावन त्यौहार।।
    लक्ष्मी और गणेश के, साथ शारदा होय।
    उनका दुनिया में कभी, बाल न बाँका होय।
    --
    आपको दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ!

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  11. बहुत ही सुंदर !
    दीप पर्व पर सपरिवार ढेरों शुभकामनाऎं!!

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  12. गज़ब प्रस्तुति है भाई जी, हार्दिक अभिनंदन।

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  13. Thanks for sharing your thoughts. I truly appreciate your efforts and I will be waiting for your further write ups thank you once again.
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