Sunday 17 February 2013

आज समर्थक हो गए, पूरे एक हजार-



 आज समर्थक हो गए, पूरे एक हजार |
चर्चाकारों कीजिये, उन सबका आभार |

उन सबका आभार, हजारी का यह गौरव |
हाजिर होकर रोज, करें चर्चा कर कलरव |

रविकर गाफिल रूप, अरुण दिलबाग परिश्रम |
राजे' दीप प्रदीप, वन्दना करते हैं हम || 

ये शहर पराया लगता है

kanupriya 
 दुखी रियाया शहर की, फिर भी बड़ी शरीफ ।
सह लेती सिस्कारियां, खुद अपनी तकलीफ ।
खुद अपनी तकलीफ,  बड़ा बदला सा मौसम ।
वेलेंटाइन बसंत, बरसते ओले हरदम ।
हमदम जो नाराज, आज कर गया पराया ।
बिगड़े सारे साज, भीगती दुखी रियाया ।।  

गलियों के ये गैंग.

shikha varshney 
लन्दन में बेखौफ हो, घूम रहे उद्दंड ।
नहीं नियंत्रण पा रही, लन्दन पुलिस प्रचंड ।

लन्दन पुलिस प्रचंड, दंड का भय नाकाफी ।
नाबालिग का क़त्ल, माँगता जबकि माफ़ी ।
क़त्ल किये सैकड़ों, करे पब्लिक अब क्रंदन ।
शान्ति-व्यवस्था भंग, देखता प्यारा लन्दन ।।

ओ गांधारी जागो !


रेखा श्रीवास्तव 
 hindigen  


धारी आँखों पे स्वयं, मोटी पट्टी मातु ।
सौ-सुत सौंपी शकुनि को, अंधापन अहिवातु ।
अंधापन अहिवातु, सुयोधन दुर्योधन हो ।
रहा सुशासन खींच, नारि का वस्त्र हरण हो ।
कुंती सा क्यूँ नहीं, उठाई  जिम्मेदारी ।
सारा रविकर दोष, उठा अंधी गांधारी ।


Asha Saxena 

 Akanksha
मनचाहे व्यवहार की, कर दूजे से आस |
लेकिन हो निश्चिन्त मत, व्यर्थ पूर्ण विश्वास |
व्यर्थ पूर्ण विश्वास, ख़ास लोगों से चौकस |
होगा जब एहसास, दुखी हो जाए बरबस |
पग पग पर हुशियार, गली ऑफिस चौराहे |
दे जाते वे दर्द, जिन्हें अपना मन चाहे ||


 अजित गुप्‍ता का कोना
पानी बिजली आ गई, बढ़ी जरुरत मूल |
इक-जुटता परिवार की, अब भी रहा उसूल |
अब भी रहा उसूल, अभी तक बिजली रानी |
रही जरुरत मूल, विलासी नहीं निशानी |
सरकारी इस्कूल, पढो घूमो मनमानी |
मरा नहीं अब तलक,  मित्र आँखों का पानी ||

इमोशनल ब्लैकमेलिंग -
कमल कुमार सिंह ‘नारद’
गोली खाय जुलाब की, करता मोशन लूज ।
चिंता खाए देश की, बनी हॉट यह न्यूज ।
बनी हॉट यह न्यूज, फ्यूज कितने कर देता।
पर अन्ना का यूज, नहीं कर पाता नेता ।
कहाँ करोडो रोज, आज दस दस की बोली ।
होता जाए सोझ, मार सत्ता को गोली ।।

राजनैतिक कुण्डलिया : दर दरवाजा छोड़, लगा ना थोथा थापा

1
थोथा थापा द्वार पर, करता बन्टाधार |
पंजे के इस छाप से, कैसा अब उद्धार |
 
कैसा अब उद्धार, भांजती *थापी सत्ता |
थोक-पीट सामंत, उतारे कपडा-लत्ता |
 
रहे कब्र यह खोद, निभा अब ना बहिनापा |
दर दरवाजा छोड़, लगा ना थोथा थापा ||


तुम हार गए बसंत! 
-बब्बन पाण्डेय

वेलेंटाइन को सभी, करते आज प्रोमोट |
रति-अनंग की रुत नई, देह खोट के पोट |
देह खोट के पोट, मोट बाजारू-पन है |
यह बसंत अब छोट, घोटता अपना मन है |
कोयल लेती कूक, मंजरी भी है फाइन |
लेकिन भरी पड़े, मित्र यह वेलेंटाइन ||

-मीनाक्षी पंत 

ताने हों या इल्तिजा, नहीं पड़ रहा फर्क ।
पत्थर के दिल हो चुके, सह जाता सब जर्क ।
 सह जाता सब जर्क, नर्क बन गई जिंदगी ।
सुनते नहिं भगवान्, व्यर्थ में करे बंदगी ।
सत्ता आँखे मूंद, बनाती रही बहाने ।
चूस रक्त की बूंद, मार के मारे ताने ।।  

  कल हारे का पूत या, *कलहारी का पूत |
भिगो भिगो के भूनता, खा जाता साबूत |
खा जाता साबूत, कल्हारे नमक मिर्च दे |
सबसे बड़ा कपूत, अकेले स्वयं सिर्ज ले |
दी-फेमिली महान, बड़े चॉपर हैं प्यारे |
मामा का एहसान, तभी तो हम कल हारे ||
*झगडालू

कार्टून :- हैलीकॉप्‍टर आया

  (काजल कुमार Kajal Kumar) 
 

तोपा तोपें तोपची, हेलीकाप्टर तोप |
जैसे वह गायब हुआ, वैसे इसका लोप |
वैसे इसका लोप, जाँच पर मामा बोला |
दाबे दस्तावेज, फेमिली जान टटोला |
जिन्दा है इंसान, भेंट कर इन्हें सरोपा |
इटली के मेहमान, केस को फिर से तोपा ||



10 comments:

  1. बहुत ही सार्थक पोस्टो से सुसज्जित प्रस्तुति,चर्चामंच के गौरव गाथा बहुत ही सुन्दर लगी.

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  2. एक हजारी पर यह तोप की सलामी

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  3. एक हजारी पर मेरा तोप सलाम , और आपको तोप आभार
    आपको बहुत बहुत बधाई
    मेरी नई रचना
    फरियाद
    एक स्वतंत्र स्त्री बनने मैं इतनी देर क्यूँ
    दिनेश पारीक

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  4. बेहतरीन लिंक्‍स ...

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  5. bahut bahut aabhar Ravikar bhai

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  6. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि कि चर्चा कल मंगल वार 19/2/13 को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी आपका हार्दिक स्वागत है

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  7. बधाई !
    कारवाँ बढ़ता रहे आपका इसी तरह
    चाँद तक सूरज तक उससे भी दूर तक !

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  8. ...हजारीलाल बनने पर बधाई !!!

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