Friday, 25 August 2017

जंगली पॉलिटिक्स

सरासर झूठ सुन उसका उसे कौआ नहीं काटा।
चपाती बिल्लियों को चंट बंदर ठीक से बाँटा।

परस्पर लोमड़ी बगुला निभाते मेजबानी जब।
घड़े में खीर यह खाया उधर वह थाल भी चाटा।

युगों से साथ गेंहूँ के सदा पिसता रहा जो घुन 
बनाया दोस्त चावल को नहीं जिसका बने आटा।।

मरा हीरा कटा मोती किसानों की बिकी खेती
खिला पीजा खिला बर्गर भरे फिर कार फर्राटा।

कभी खरगोश कछुवे को नहीं कमजोर समझा था
करा के मैच फिक्सिंग वो करेगा पूर्ण फिर घाटा।।

कुएं तक सिंह तो आया मगर झांका नही अन्दर
बुला खरगोश को रविकर अकेले में बहुत डाटा।।

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