कायर की चेतावनी, बढ़िया मिली मिसाल,
कड़ी सजा दूंगा उन्हें, करे जमीं जो लाल |करे जमीं जो लाल, मिटायेंगे हम जड़ से,
संघी पर फिर दोष, लगा देते हैं तड़ से |
रटे - रटाये शेर, रखो इक काबिल-शायर,
कम से कम हर बार, नयापन होगा कायर ||
आदरणीय मदन शर्मा जी के कमेंट का हिस्सा साभार उद्धृत करना चाहूंगा -
अब बयानबाजी शुरू होगी-
प्रधानमंत्री ...... हम आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा देंगे ...
दिग्गी ...... इस में आर एस एस का हाथ हो सकता है
चिदम्बरम ..... ऐसे छोटे मोटे धमाके होते रहते है..
राहुल बाबा ..... हर धमाके को रोका नही जा सकता...
आपको पता है कि दिल्ली पुलिस कहाँ थी?
अन्ना, बाबा रामदेव, केजरीवाल को नीचा दिखाने में ?????
सही बात है ...दिल्ली पुलिस छोटे -मोटे उलझनों को ही सुलझाने में लगी रहती है,देश की सुरक्षा कौन करे ......
ReplyDeletebahut soch samaj ke line kilhe hai
ReplyDeleteaap
sundar
करारा व्यंग ..
ReplyDeleteकरार व्यंग ... शर्म शर्म शर्म ....
ReplyDeleteकायर की चेतावनी, बढ़िया मिली मिसाल,
ReplyDeleteकड़ी सजा दूंगा उन्हें, करे जमीं जो लाल |
करे जमीं जो लाल, मिटायेंगे हम जड़ से,
संघी पर फिर दोष, लगा देते हैं तड़ से |
रटे - रटाये शेर, रखो इक काबिल-शायर,
कम से कम हर बार, नयापन होगा कायर ||
सार्थक चुभन लिए आज के सन्दर्भ की .आभार रविकर जी आपका आपकी निरंतर साधना का .
बृहस्पतिवार, ८ सितम्बर २०११
ReplyDeleteगेस्ट ग़ज़ल : सच कुचलने को चले थे ,आन क्या बाकी रही.
ग़ज़ल
सच कुचलने को चले थे ,आन क्या बाकी रही ,
साज़ सत्ता की फकत ,एक लम्हे में जाती रही ।
इस कदर बदतर हुए हालात ,मेरे देश में ,
लोग अनशन पे ,सियासत ठाठ से सोती रही ।
एक तरफ मीठी जुबां तो ,दूसरी जानिब यहाँ ,
सोये सत्याग्रहियों पर,लाठी चली चलती रही ।
हक़ की बातें बोलना ,अब धरना देना है गुनाह
ये मुनादी कल सियासी ,कोऊचे में होती रही ।
हम कहें जो ,है वही सच बाकी बे -बुनियाद है ,
हुक्मरां के खेमे में , ऐसी खबर आती रही ।
ख़ास तबकों के लिए हैं खूब सुविधाएं यहाँ ,
कर्ज़ में डूबी गरीबी अश्क ही पीती रही ,
चल ,चलें ,'हसरत 'कहीं ऐसे किसी दरबार में ,
शान ईमां की ,जहां हर हाल में ऊंची रही .
गज़लकार :सुशील 'हसरत 'नरेलवी ,चण्डीगढ़
'शबद 'स्तंभ के तेहत अमर उजाला ,९ सितम्बर अंक में प्रकाशित ।
विशेष :जंग छिड़ चुकी है .एक तरफ देश द्रोही हैं ,दूसरी तरफ देश भक्त .लोग अब चुप नहीं बैठेंगें
दुष्यंत जी की पंक्तियाँ इस वक्त कितनी मौजू हैं -
परिंदे अब भी पर तौले हुए हैं ,हवा में सनसनी घोले हुए हैं ।
लगे रहो शायरी में।
ReplyDeleteकुण्डलिया बहुत भड़िया रही!
LAZVAB
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ReplyDeleteपहले कमेंट में बढ़िया का भड़िया लिखा गया था!
ReplyDeleteइसलिए दूसरा कमेंट है-
लगे रहो शायरी में।
कुण्डलिया बहुत बढिया रही!
खूबसूरत
ReplyDeleteबहुत सुंदर,
ReplyDeleteअब सजा दे ही दीजिए....क्योंकि
अपने ही हाथ अपना वतन बांट रहे हैं,
जिस डाल पर बैठे हैं उसे काट रहे हैं।
रविकर भाई !ये आदमी जो लूंगी में फांट नहीं लगाता ,गांठ नहीं लगाता ,खुली रखता है अब अपनी शेव बनाके साबुन दिल्ली पुलिस और पी डब्लू डी के मुंह पर फैंक रहा है .साफ़ कह रिया है अपनी सुरक्षा आप करो -मेरे भरोसे मत रहना .
ReplyDeleteram ram bhai
शुक्रवार, ९ सितम्बर २०११
गेस्ट ग़ज़ल :परिनिष्ठित संस्करण .
ग़ज़ल (संशोधित संस्करण ).
सच कुचलने को चले थे ,आन क्या बाकी रही ,
शान सत्ता की फकत ,एक लम्हे में जाती रही ।
इस कदर बदतर हुए ,हालात मेरे देश में
लोग अनशन पे सियासत ,मौज से खाती रही ।
एक तरफ मीठी जुबाँ तो, दूसरी जानिब यहाँ
सोये थे सत्याग्रही ,वो लाठी चलवाती रही ।
हक़ की बातें बोलना अब ,धरना देना है गुनाह ,
ऐसी आवाजें सियासी ,कूंचों से आती रहीं ।
हम कहें जो है वही सच ,बाकी बे -बुनियाद है ,
हुक्मरां के खेमे से ,ऐसी खबर आती रही ।
ख़ास तबकों के लियें हैं खूब ,सुविधाएं यहाँ ,
कर्ज़ में डूबी गरीबी ,अश्क बरसाती रही ,
चल चलें 'हसरत 'कहीं ऐसे ही दरबार में ,
इंसानियत की एक जुबाँ ,हर हाल में गाती रही ।
सटीक और करारा व्यंग...
ReplyDeleteकम से कम हर बार, नयापन होगा कायर
ReplyDeleteperfect
वाह रे मन्नू वाह उसकी मम्मी ऐसी आतिश बाजी न करे वो चमचा फ़ौज निकम्मी अरे भाई क्या फ़ोड़ा बम कि ध्यान मोड़ दिया और मम्मी आने का संबंध धमाको से जोड दिया
ReplyDeleteजबर्दस्त कुंडली है।
ReplyDeleteसार्थक व सटीक लेखन ।
ReplyDeleteअफवाह फैलाना नहीं है वकील का काम .
ReplyDeleteराम जेठ मलानी के मवक्कल (मुवक्किल )श्री अमर सिंह न तो गूंगे हैं ओर न ही अपढ़ ,लिख सकतें हैं फिर राम -जेठमलानी एक सामान्य वक्तव्य क्यों दे रहें हैं ?
वकील का काम सामान्य वक्तव्य देना नहीं है ओर न ही अफवाह फैलाना .अपने मुवक्किल के मुंह से कहलवाएं जो भी कहना चाह रहें हैं या अगर वह गूंगा है तो उसका लिखा दिखाएँ ।
अमर सिंह जी बतलाएं 'सांसदों की खरीद फरोख्त के लिए उन्हें पैसा किसने दिया ',उनकी जान सारे राष्ट्र को प्यारी हो जायेगी .राम जेठ मालानी भी अपनी प्रतिष्ठा के अनुरूप सबसे ऊपरले पायेदान पर पहुँच जायेंगें जन प्रियता ओर राष्ट्र प्रियता के ।
अमर सिंह जी के सीरम क्रितेनाइन लेविल के खतरनाक स्तर तक बढ़ने की इत्त्ल्ला ओर इस बिना पर उन्हें ज़मानत देने की पेशकश यदि वह एक व्यक्ति के रूप में कर रहें हैं तो इसका स्वागत होना चाहिए लेकिन अगर वह ऐसा एक वकील के नाते कर रहें हैं तो अपने मुवक्किल से सच कहलवाएं -भाई !अमर सिंह जी आप तो लाभार्थि नहीं हैं ,लाभार्थि कोई ओर है आप कृपया बतलाएं आपको ये पैसा किसने दिया था .इस राष्ट्र की आप बड़ी सेवा करेंगें यह सच बोलके ,यह किस्मत ने आपको एक विधाई क्षण दिया है ,राष्ट्र सेवा का ,अपनी जान बचाने का .
badhiya kataaksh.
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