बहुत खूब...सही कहा...
क्या बात है...वाह!
behtarin kya baat hai..badhayee aaur sadar pranam ke sath
नेता का जाने...ई तो मरते नहीं महंगाई से। जानते हैं कि आतंक वाद से मर भी सकते हैं। ये नहीं जानते कि महंगाई ही से ही नक्सलवाद और आतंकवाद पनपता है।
रविकर जी ,हमारे आज के सन्दर्भ का अनुपम व्यंग्य .
अच्छा कटाक्ष है।
आभार इस प्रस्तुति और आपकी महत्वपूर्ण ब्लॉग दस्तक की .
“....”!
बहुत खूब कहा है आपने ।
प्रिय रविकर जी बहुत खूब ...गूढ़ पहेली ...एक से बढ़ कर यहाँ ..क्या किसे बोले किसकी राह रोकें... जागो जनता जागो धन्यवाद भ्रमर ५
बहुत खूब...सही कहा...
ReplyDeleteक्या बात है...वाह!
ReplyDeletebehtarin kya baat hai..badhayee aaur sadar pranam ke sath
ReplyDeleteनेता का जाने...ई तो मरते नहीं महंगाई से। जानते हैं कि आतंक वाद से मर भी सकते हैं। ये नहीं जानते कि महंगाई ही से ही नक्सलवाद और आतंकवाद पनपता है।
ReplyDeleteरविकर जी ,हमारे आज के सन्दर्भ का अनुपम व्यंग्य .
ReplyDeleteअच्छा कटाक्ष है।
ReplyDeleteआभार इस प्रस्तुति और आपकी महत्वपूर्ण ब्लॉग दस्तक की .
ReplyDelete“....”!
ReplyDeleteबहुत खूब कहा है आपने ।
ReplyDeleteप्रिय रविकर जी बहुत खूब ...गूढ़ पहेली ...एक से बढ़ कर यहाँ ..क्या किसे बोले किसकी राह रोकें... जागो जनता जागो
ReplyDeleteधन्यवाद
भ्रमर ५