Sunday, 4 September 2011

कहता क्रिकेट बोर्ड, गधे ऐसे ही मारो

चारो   पैरों    के   तले,   गुम्मे   रक्खो  चार, 
क्रिकेट किट पर किट धरो, करे नहीं इनकार |



करे   नहीं   इनकार, चूर   गुम्मा   हो  जाए,
हुई  इन्तिहा  जान,  होय  घायल  तड़पाए  |



http://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/7/7b/Donkey_1_arp_750px.jpg
कहता   क्रिकेट   बोर्ड,  गधे   ऐसे  ही  मारो,
चाहे  थू-थू   करें,  दिशाएँ   हम   पर   चारो ||

12 comments:

  1. सुन्दर अभिव्यक्ति..सटीक व्यंग..

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  2. अध्यापकदिन पर सभी, गुरुवर करें विचार।
    बन्द करें अपने यहाँ, ट्यूशन का व्यापार।।

    छात्र और शिक्षक अगर, सुधर जाएँगे आज।
    तो फिर से हो जाएगा, उन्नत देश-समाज।।
    --
    अध्यापक दिवस पर बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!

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  3. जी हाँ भाई साहब जिस"किरकेट बोर्ड" का पानी उतर चुका है जो बे -आब ,बे -आबरू है उसका सिर्फ मज़ाक ही उड़ाया जा सकता है गंभीर विमर्श नहीं हो सकता उसकी हरकतों पर .
    कहता क्रिकेट बोर्ड, गधे ऐसे ही मारो,
    चाहे थू-थू करें, दिशाएँ हम पर चारो ||

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  4. सही और सटीक ...

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  5. बहुत बढ़िया!
    शिक्षक दिवस की शुभकामनाएँ और सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन जी को नमन

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  6. प्रिय रविकर जी अभिवादन रचना की प्रस्तुति गजब की रही रंग बिरंगी इन गधों को जहाँ देखों इतना सम्मान प्यार मिल रहा है क्या ख़िताब पाया लेकिन किस किसको सुधरेंगे ...केवल एक को ही क्यों ??.....

    आभार
    भ्रमर ५

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  7. Our cricketers need to be more sincere in their efforts.

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  8. सब मिली भगत का खेल है ... पैसे पूरे नहीं मिले होंगे ...

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