दावे पुख्ता यार के, वादे तोड़े खूब |
यादें हमको तोडती, वादे को महबूब |
वादे को महबूब, नजर में भरी हिकारत |
यादों में हम डूब, चीखते रहे पुकारत |
जब रविकर भरमाय, तड़पकर उसे बुलावे |
करे क़त्ल सौ बार, यार के झूठे दावे |
कसमे वादे सब बेवफा हैं......
ReplyDeleteयार के झूठे दावे--
ReplyDeleteदावे पुख्ता यार के, वादे तोड़े खूब |
यादें हमको तोडती, वादे को महबूब |
शिद्दत से प्रेम करने का हासिल भी यही है .प्रेम अवदान चाहता भी नहीं है प्रेम बस होता है .
वादा किया ही जाता है तोडने के लिए ... अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत सुन्दर...बधाई, आप लिखते रहिए हम पढ़ते रहेंगे ये मेरा वादा है
ReplyDeleteबहुत बढ़िया ..
ReplyDeleterarely we find a trustworthy person.
ReplyDelete♥
ReplyDeleteआपको सपरिवार
नवरात्रि पर्व की बधाई और शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं !
-राजेन्द्र स्वर्णकार
दावे पुख्ता यार के, वादे तोड़े खूब |
ReplyDeleteयादें हमको तोडती, वादे को महबूब |
बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
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