जील साहिबा की खूबसूरत टिपण्णी दोहराने को दिल चाहता है ,बधाई पुनश्चय ! . आपकी ब्लोगिया दस्तक हमारे लिखे के आंच है ... शुक्रवार, २ सितम्बर २०११ खिश्यानी सरकार फ़ाइल निकाले ...
बहुत बढ़िया और ज़बरदस्त प्रस्तुती! आपको एवं आपके परिवार को गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनायें! मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है- http://seawave-babli.blogspot.com/ http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
बहुत ज़ोरदार प्रस्तुति भाई साहब ! "उम्र अब्दुल्ला उवाच :" माननीय उमर अब्दुल्लासाहब ने कहा है यदि जम्मू -कश्मीर लेह लद्दाख की उनकी सरकार विधान सभा में तमिल नाडू जैसा प्रस्ताव (राजिव के हत्यारों की सज़ा मुआफी ) अफज़ल गुरु की सजा मुआफी के बारे में पारित कर दे तो केंद्र सरकार का क्या रुख होगा । जब इसके बाबत केंद्र सरकार के प्राधिकृत प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी से पूछा गया जनाब टालू अंदाज़ में बोले ये उनकी वैयक्तिक राय है,मैं इस पर क्या कहूं ? बात साफ़ है राष्ट्री मुद्दों पर कोंग्रेस की कोई राय नहीं है । और ज़नाब उमर अब्दुल्ला साहब ,न तो नाथू राम गोडसे आतंक वादी थे और न ही राजीव जी के हत्यारे .एक गांधी जी की पाकिस्तान नीति से खफा थे ,जबकि जातीय अस्मिता के संरक्षक राजीव जी के हत्यारे राजीव जी की श्री लंका के प्रति तमिल नीति से खफा थे .वह मूलतया अफज़ल गुरु की तरह आतंक वादी न थे जिसने सांसदों की ज़िन्दगी को ही खतरे में नहीं डाला था ,निहथ्थे लोगों पर यहाँ वहां बम बरसवाने की साजिश भी रच वाई थी .संसद को ही उड़ाने का जिसका मंसूबा था .ऐसे अफज़ल गुरु को आप बचाने की जुगत में हैं क्या हज़रात ?
बहुत सुन्दर और सटीक प्रस्तुति....
ReplyDeleteGazab bhai...waah...Kamaal kar diya
ReplyDeletebahut khoob ....chhakka mar diya hai .aabhar
ReplyDeleteबहुत बढ़िया!
ReplyDeleteमाँ सरस्वती आपकी लेखनी में विराजमान है।
गणेशोत्सव की शुभकामनाएँ!
kya khoob kataksh kiya hai aapne.badhai.
ReplyDeleteफांसी और वैधानिक स्थिति
वाह!
ReplyDeleteइधर मीडिया व्यर्थ, मचाता जाए हल्ला |
ReplyDeleteकरे कमाई बोर्ड , झाड़कर इससे पल्ला ||
A bitter truth !
.
छा गये रविकर जी !
ReplyDeleteसटीक और सार्थक व्यंग्य ...
ReplyDeleteसार्थक व सटीक लेखन ।
ReplyDeleteकरे कमाई बोर्ड, झाड़कर इससे पल्ला ||
ReplyDeleteगज़ब बिलकुल..........
धन्य हैं आपकी लेखनी.
जील साहिबा की खूबसूरत टिपण्णी दोहराने को दिल चाहता है ,बधाई पुनश्चय ! .
ReplyDeleteआपकी ब्लोगिया दस्तक हमारे लिखे के आंच है ...
शुक्रवार, २ सितम्बर २०११
खिश्यानी सरकार फ़ाइल निकाले ...
बहुत बढ़िया और ज़बरदस्त प्रस्तुती!
ReplyDeleteआपको एवं आपके परिवार को गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनायें!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
बहुत ज़ोरदार प्रस्तुति भाई साहब !
ReplyDelete"उम्र अब्दुल्ला उवाच :"
माननीय उमर अब्दुल्लासाहब ने कहा है यदि जम्मू -कश्मीर लेह लद्दाख की उनकी सरकार विधान सभा में तमिल नाडू जैसा प्रस्ताव (राजिव के हत्यारों की सज़ा मुआफी ) अफज़ल गुरु की सजा मुआफी के बारे में पारित कर दे तो केंद्र सरकार का क्या रुख होगा ।
जब इसके बाबत केंद्र सरकार के प्राधिकृत प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी से पूछा गया जनाब टालू अंदाज़ में बोले ये उनकी वैयक्तिक राय है,मैं इस पर क्या कहूं ?
बात साफ़ है राष्ट्री मुद्दों पर कोंग्रेस की कोई राय नहीं है ।
और ज़नाब उमर अब्दुल्ला साहब ,न तो नाथू राम गोडसे आतंक वादी थे और न ही राजीव जी के हत्यारे .एक गांधी जी की पाकिस्तान नीति से खफा थे ,जबकि जातीय अस्मिता के संरक्षक राजीव जी के हत्यारे राजीव जी की श्री लंका के प्रति तमिल नीति से खफा थे .वह मूलतया अफज़ल गुरु की तरह आतंक वादी न थे जिसने सांसदों की ज़िन्दगी को ही खतरे में नहीं डाला था ,निहथ्थे लोगों पर यहाँ वहां बम बरसवाने की साजिश भी रच वाई थी .संसद को ही उड़ाने का जिसका मंसूबा था .ऐसे अफज़ल गुरु को आप बचाने की जुगत में हैं क्या हज़रात ?
shandaar vyangya
ReplyDeleteये कौन है जो मैदान में प्रैक्टिस कर रहा है ?
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