Wednesday, 14 September 2011

चर्चा मंच की प्रस्तावना

(१)
अरे भुलक्कड़ आदमी, भूल महा-वरदान,
कुछ हफ़्तों में भूलता, गुजर गए व्यवधान |

गुजर गए व्यवधान,  भूलता  धूम-धड़ाका,
कत्लो-गारद खून, वफ़ा-रिश्ते-गम-फाका |

पर रविकर इतिहास, लगाता रहता लक्कड़,
टी.वी. एल्बम लेख, देख मत अरे भुलक्कड़ ||


(२)
लगे  भूलने  मुम्बई,  दिल्ली का विस्फोट |
अन्ना का अनशन अते, रामदेव  की  चोट |

रामदेव की चोट, खोट पुरकस सरकारी |
रथ-यात्रा से पोट, चोट देने की बारी |

मरियल नेता बूढ़, युवा जन लगे झूलने |  
भोले वोटर मूल, खता फिर लगे भूलने ||

7 comments:

  1. खूब बढिया ..अच्छा व्यंग...

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  2. वाह ...बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

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  3. मरियल नेता बूढ़, युवा जन लगे झूलने |
    भोले वोटर मूल, खता फिर लगे भूलने ||

    Awesome !

    .

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  4. व्यंग्य और सुन्दर सन्देश ....अच्छा रहा

    भ्रमर ५


    आदरणीय रविकर जी बहुत ही प्यारी रचनाएं और आप का ये मेहनत भरा काम देख मन बाग़ बाग़ हो गया कुछ ही पढ़ पाया अभी सभी कवी मित्रों को और आप को ढेर सारी बधाई ...आप यों ही पुष्प बिखेरते चलें और ये बगिया महकती रहे ...मेरी भी एक रचना अश्क नैन ले मोती रही बचाती को आप ने संजोया ख़ुशी हुयी

    आभार

    भ्रमर ५

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