Monday, 19 September 2011

आज्ञा अनुमति सूचना, शिशु किशोर तरुणेश

(१)
बच्चा  आज्ञा  मांग के, खेल-खेलने जाय |
गोधुली के पूर्व ही,  वापस  घर  में  आय  ||
(२)
अनुमति ले करके गया,  एक मित्र के पास |
दो घंटे की लिमिट थी, किया चार से क्रास ||
 (३)
सहमति लेकर मैच की, रहा दिवस भर गोल |
थक कर लौटा तर-बतर, भूल समय का मोल ||
(४)
स्वमति मतीरा सी बढ़ी, लम्बी लम्बी बेल |
अभिमति-दुर्मति से शुरू, छोटे-मोटे खेल ||
(५)
शुरू सूचना से किया,  करतब का निर्वाह |
तेरह को आ जाइए, फलां जगह है व्याह ||
 (६)
आज्ञा अनुमति सूचना, शिशु किशोर तरुणेश |
 सम्बन्धों में शिथिलता, दिखते  भेद  विशेष ||



9 comments:

  1. nai peedhi ke vyvhaar ko hansi hansi me khoob bayaan kiya aapne.bahut achche dohe.

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  2. सार्थक वातावरण प्रधान काव्यात्मक प्रस्तुति .
    Tuesday, September 20, 2011
    महारोग मोटापा तेरे रूप अनेक .
    http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/

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  3. रविकर बाबू का कमाल हर बात मे करते धमाल

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  4. वाह ....बहुत खूब लिखा है

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  5. आज्ञा अनुमति सूचना, शिशु किशोर तरुणेश |
    सम्बन्धों में शिथिलता, दिखते भेद विशेष ||

    ...सच है। शिशु आज्ञा पर चलता है। किशोर अनुमती लेकर निकलता है। युवक सिर्फ सूचना देता है। वक्त, पिता-पुत्र संबंध में नित नई परिभाषा गढ़ता है। सुंदर दोहा।

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  6. रविकर जी देत.बहुत सुन्दर संदेश...

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  7. प्रिय रविकर जी ..सुन्दर सन्देश लगा कुछ समझ में आया........... लेकिन कुछ दिमाग के ऊपर से उड़ गया ...गूढ़ कहाँ तीर मारे ?

    भ्रमर ५

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  8. आज्ञा मांगता है शिशु
    किशोर अनुमति लेता है
    सूचना देते हैं तरुण ||
    बस ऐसे ही कुछ ख़ास नहीं ||
    सब कुशल मंगल है ||

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  9. अनुमति ले करके गया, एक मित्र के पास |
    दो घंटे की लिमिट थी, किया चार से क्रास ||

    नए विषयों पर सुंदर दोहे।

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