ZEAL पर टिप्पणी
रोटी खाकर यह मुआ, खटिया पर पड़ जाय |
ज्यों ईंदुर रोटी कुतर, बिल में जाय छुपाए |
बिल में जाय छुपाए, चार दिन बच्चे रोवें |
एक समय का भात, शाम की रोटी खोवें |
ज्यों ईंदुर रोटी कुतर, बिल में जाय छुपाए |
बिल में जाय छुपाए, चार दिन बच्चे रोवें |
एक समय का भात, शाम की रोटी खोवें |
वह राखी सावंत, खेलती खोटी गोटी |
नौटंकी श्रीमंत, खाय के उगलें रोटी ||
दिग्भ्रमित ; गुरु-गुरुर को भंग--
मेरी टिप्पणी-राम राम भाई पर
राहुल गांधी और काले झंडे .
अंध-गुरू की मती-मंद, दंद-फंद सह जंग |
शब्द-कोष में ढूढ़ते, कृष्ण-रंग से दंग |
कृष्ण रंग से दंग, नंग जनता कर देती |
गुरु-गुरुर को भंग, तंग हो झंडा लेती |
शब्द-कोष में ढूढ़ते, कृष्ण-रंग से दंग |
कृष्ण रंग से दंग, नंग जनता कर देती |
गुरु-गुरुर को भंग, तंग हो झंडा लेती |
जन-मन चंडी-चंड, पंथ-प्रतिबन्ध शुरू की |
दण्ड करे शत-खंड, सुताई अंध-गुरु की ||
दण्ड करे शत-खंड, सुताई अंध-गुरु की ||
आज का नीतिपरक दोहा /उक्ति :
ReplyDeleteआज रविदास जी की जयंती है उसी पर विशेष :
'मन चंगा ,तो कठौती में गंगा '
कहतें हैं संत रविदास के शिष्य उन्हें गंगा स्नान पर ले जाना चाहते थे लेकिन अपने कर्म को समर्पित रविदास जी गंगा स्नान को नहीं गए ,कठौती का वह गंदा जल जिसमे वह राती लगाकर जूता बनाते थे वही उनके लिए गंगा जल था क्योंकि उन्होंने वायदा किया था उस रोज़ जूता बनाके देने का .रवि दास जी ने कहा-मैं उसे जूते बनाके न दे सका तो वचन भंग होगा .वचन का पालन ही उनका सबसे बड़ा धर्म था .और इसीलिए अपने इसी धर्म को समर्पित रविदास जी गंगा स्नान नहीं गए .
आज के नेता वचन भंग करने में माहिर हैं .
उनका लिखा एक और पद है -
प्रभुजी तुम चन्दन हम पानी ,गुरु दिग्विजय इसका नया संस्करण प्रस्तुत करते होंगे मन ही मन -
राहुलजी तुम चन्दन हम पानी ,
राहुलजी तुम दीपक हम बाती,
स्तुति गान करू दिन राती ,
राहुलजी तुम दीपक हम बाती ....
राम राम भाई !
रोटी खाकर यह मुआ, खटिया पर पड़ जाय |
ReplyDeleteज्यों ईंदुर रोटी कुतर, बिल में जाय छुपाए |
बिल में जाय छुपाए, चार दिन बच्चे रोवें |
एक समय का भात, शाम की रोटी खोवें |
वह राखी सावंत, खेलती खोटी गोटी |
नौटंकी श्रीमंत, खाय के उगलें रोटी ||
एक का जलवा, दूजे का ज़माल ,दोनों को मिलादों तो हो जाएगा ..........
ईंदुर शब्द प्रयोग के क्या कहने हैं रविकर जी .
ReplyDeleteबढ़िया कुण्डलिया!
ReplyDeleteबहुत बढिया...
ReplyDeleteबहुत अच्छी कुण्डलिया प्रस्तुति|
ReplyDeleteवाह दिनेश जी ... आपका भी जवाब नहीं ...
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