Tuesday, 21 February 2012

कर्म दाग पर ना मिटें, सभी वैद्य लाचार

   गीत.......मेरी अनुभूतियाँ 

कैसे कंधे लाद के, बाप ढोय औलाद ।
गधा बाप बन कर रहे, एक अवधि के बाद ।।

आज के नेता...
काव्यान्जलि ...
नेता पक्का नेत का, नेति बना के मन्त्र ।
तनी रहे नेती सदा, रहे टना-टन तन्त्र ।।

नेत = संकल्प / निश्चय
नेति = इति  न
नेती = मथानी को लपेटकर खींचने वाली रस्सी
मै नशे में
नशा नशावन थी कभीं, आज नशे में धुत्त ।
चूम नशीनी को चढ़ा, प्रेम परम उन्मुक्त ।।

अद्भुत सन्यासी गृहस्थ, सदा कर्म लव-लीन ।
इंद्रिय-सुख से विमुखता,  भाग्य विधाता दीन ।।

पिगमेंटेशन की दवा, धैर्य समय व्यवहार ।
कर्म दाग पर ना मिटें, सभी वैद्य लाचार ।। 

 थकित चकित माता पड़ी, जर्जर काया ठूठ
सन्ताने ताने कसें, मोबाइल गा रूठ  ।।

 किरकेट में किरकिरी से, लागे किरकेट चाट ।
 अभी परीक्षा में लिखें, पाछे  होली घाट ।।


    न दैन्यं न पलायनम् 

 क्षण भर चेहरे देख के, करें जरूरी  काम |
बड़ा मुखौटा काम का, छूटे नशे तमाम |
छूटे नशे तमाम, नशे का बनता राजा |
छोड़ जरुरी काम, बुलाये आजा आजा |
कह रविकर रख होश, मुखौटा खोटे लागै |
रखकर सर पर पैर, सयाना सरपट भागै ||


"आदरणीय “रविकर” जी को समर्पित-पाँच दोहे" 

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")

जबरदस्त ये भाव हैं, निगमागम का रूप ।
तन-मन मति निर्मल करे, कुँवर अरुण की धूप ।। 

अरुण कुमार निगम (हिंदी कवितायेँ) -

निगमी निर्गम नर्मदा, अरुण शिवंकर पाय ।
सर्वोत्तम वह दिवस मम, वन्दौं शीश नवाय ।।
शिवंकर = कल्याणकारी


मदिरा पी ली पीली सरसों, फगुनाहट से झूमे ।
बार बार बरबस पैरों को, बेहोशी में चूमे ।
होंठो की मादक लाली को, पिचकारी में भरकर-
गली गली चौराहे पर वह, कृष्ण ढूँढ़ती  घूमे ।।

7 comments:

  1. कहना हम भी कविता में ही कुछ चाहते थे,पर अपनी साधना आपके टक्कर की नहीं है।

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    1. विषय महत्वपूर्ण है ना की माध्यम ।

      यहाँ भी है यह लिंक ।

      आभार ।।

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  2. रोग लिखाई का बढ़ा, वैद्य हुए लाचार।
    असमंजस में हम पड़े, कैसे हो उपचार।।

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  3. थकित चकित माता पड़ी, जर्जर काया ठूठ।
    सन्ताने ताने कसें, मोबाइल गा रूठ ।।

    हाइगा के भाव दोहे में उतरकर और भी ज्यादा भावपूर्ण हो गए हैं...आभार!

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  4. रविकर जी टिप्पणियों का ब्लॉग लिया बनाय
    टिप्पणियों को जोड़कर तैयार पोस्ट होई जाय,
    बहुत बढ़िया, सभी कमेंट्स लाजबाब लगे.....

    MY NEW POST...काव्यान्जलि...आज के नेता...

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