Sunday, 12 February 2012

नेताओं ने माल, कई पीढ़ी से दाबा

 
बाबा बैठा मंच पर, लेकर बच्चे पाँच ।
कहीं साँच की आँच से, बहता भंगुर काँच ।

बहता भंगुर काँच, कष्ट सदियों से भोगा ।
करिहै कैसे रोग, नीक बाबा का योगा ।

नेताओं ने माल,  कई पीढ़ी से दाबा ।
बच्चा-बच्चा भिन्न, जानते राहुल बाबा ।।

6 comments:

  1. बहुत सही कहा है आपने ।

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  2. व्यक्ति (बाबा) को तरीक़े से पहचानने की कोशिश नज़र आती है।

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  3. बाबा द्वय की हो जय
    जीते कोई हमारी पराजय

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  4. नेताओं ने माल, कई पीढ़ी से दाबा ।
    बच्चा-बच्चा भिन्न, जानते राहुल बाबा ।।
    क्या बात है रविकर जी ,कुण्डलिनी लाज़वाब है रविकर जी .बधाई .

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  5. बाबा और बाबा, सबने दाबा !

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